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निर्माण की बढ़ती लागत से रियल एस्टेट डेवलपरों के लाभ पर दबाव पड़ने वाला है। घरों की कीमतें पहले से ही अधिक हैं और आवास की नरम मांग के कारण बढ़ती लागत को खरीदारों पर डालना मुश्किल हो गया है। इक्विरस के प्रबंध निदेशक (निवेश बैंकिंग) विजय अग्रवाल के अनुसार किसी औसत रियल एस्टेट परियोजना की लागत संरचना में निर्माण की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत जबकि भूमि लागत की 20 से 30 प्रतिशत और एबिटा मार्जिन की करीब 30 प्रतिशत रहती है।
अग्रवाल का मानना है कि बिक्री में मंदी और बढ़ती लागत की वजह से रियल एस्टेट कंपनियों के मूल्यांकन में कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘बिक्री की कीमतें बढ़ रही हैं। सूचीबद्ध कंपनियों की प्रति वर्ग फुट औसत प्राप्ति बढ़ी है। लेकिन बाजार में मंदी के कारण डेवलपर ज्यादा कमाई नहीं कर पाएंगे। निर्माण लागत बढ़ रही है और इसका बैलेंस शीट पर असर पड़ेगा।’
कोलियर्स के अनुसार आवासीय रियल एस्टेट में निर्माण की औसत लागत अक्टूबर 2020 के 2,000 रुपये से बढ़कर मार्च 2025 में 2,800 रुपये से 2,850 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई है। कोलियर्स इंडिया के मुख्य रणनीति अधिकारी जतिन शाह के अनुसार भारत में निर्माण क्षेत्र को बढ़ती लागत, कुशल कर्मचारियों की सीमित उपलब्धता और बाजार की अनिश्चितताओं के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। लागत में यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से सीमेंट और स्टील की कीमतों के साथ-साथ कुशल श्रम की लागत बढ़ने के कारण हुई है।
पूर्वांकारा के मुख्य कार्य अधिकारी (पश्चिमी क्षेत्र और वाणिज्यिक परिसंपत्ति) रजत रस्तोगी ने कहा, ‘बढ़ती महंगाई ने भी निर्माण लागत के इजाफे में योगदान किया है। हमने ज्यादातर सामग्रियों में 5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि देखी है और श्रम सबसे महंगा घटक बनकर उभरा है।’
कॉलियर्स के अनुसार पिछले कुछ साल के दौरान निर्माण लागत की सामान्य संरचना काफी हद तक स्थिर रही है, जिसमें करीब 67 प्रतिशत भाग में निर्माण सामग्री (सीमेंट, धातु, रेत, ईंट, लकड़ी वगैरह), 28 प्रतिशत भाग में श्रम और 5 प्रतिशत भाग में ईंधन लागत शामिल है।
एनारॉक समूह के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार ने कहा, ‘निर्माण की बढ़ती लागत और बिक्री में सुस्ती की दोहरी चुनौतियां डेवलपरों के मुनाफे को प्रभावित कर रही हैं।’
एनारॉक रिसर्च के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही में शीर्ष सात भारतीय शहरों में आवास बिक्री में सालाना आधार पर 28 प्रतिशत तक की गिरावट आई, जिसका कारण मकानों की आसमान छूती कीमतें और प्रतिकूल भू-राजनीतिक हालात थे। अलबत्ता कैलेंडर वर्ष 25 की पहली तिमाही के दौरान कीमतों में वृद्धि जारी रही और पिछले साल की तुलना में 10 से 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई।