भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई।
कंपनी की ओर से शेयर बाजार को दी जानकारी में कंपनी ने कहा कि संस्थागत कर्जदाता की ओर से आज लगभग 2.45 करोड़ शेयर बेचे जाने के बाद एक ही दिन में कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 5.13 प्रतिशत से घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई।
भारत की कर्जदाता कंपनी आईएलऐंडएफएस ट्रस्ट का कहना है कि कंपनी ने उन शेयरों को बेच दिया है जो उसके पास कई डिबेंचरधारकों और कर्जदाताओं के लिए बतौर ट्रस्टी गिरवी रखे थे। संस्थापकों ने शेयर बाजार में ऑप्शंस में मार्जिन कॉल को कवर करने के लिए संस्थागत कर्जदाताओं को अपने शेयर गिरवी दे दिए थे।
सत्यम के चेयरमैन रामलिंग राजू के पास सितंबर को समाप्त तिमाही तक राजू की प्रवर्तक कंपनी एसआरएस होल्डिंग्स के जरिये 5.57 करोड़ शेयर थे। इसके साथ कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 8.27 प्रतिशत थी।
हालांकि उनकी यह हिस्सेदारी तब कम हो गई जब कर्जदाताओं ने दिसंबर में खुले बाजार के जरिये 2.1 करोड़ शेयर बेच डाले। बिक्री के बाद एसआरएसआर होल्डिंग्स के पास 3.45 करोड़ शेयर हैं जो सत्यम में कंपनी की 5.13 फीसदी हिस्सेदारी को दर्शाते हैं। इसी हिस्सेदारी में कर्जदाताओं को गिरवी रखे गए 2.19 करोड़ शेयर भी शामिल हैं।
इसका मतलब है कि अब जब संस्थागत कर्जदाता ने अपने शेयर बेच दिए तो कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी और भी कम हो जाएगी। सत्यम ने शेयरधारकों के लिए कंपनी की कीमत और कॉर्पोरेट प्रशासन को सुधारने के विकल्पों पर ध्यान देने के लिए 10 जनवरी को निदेशक मंडल की बैठक आयोजित की है।
इस बैठक में हिस्सेदारी की बिक्री या अधिग्रहण से जुड़ी अटकलों पर विचार किया जाएगा। इससे पहले कंपनी ने कहा था कि प्रवर्तकों ने 8.61 प्रतिशत की अपनी पूरी इक्विटी संस्थागत निवेशकों को गिरवी रख दी थी।
इन निवेशकों में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और अबरदीन एसेट मैनेजमेंट फिडीलिटी भी शामिल है। दोनों संस्थागत निवेशकों की कुल मिलाकर सूचना प्रौद्योगिकी की दिग्गज कंपनी में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
कुछ साल पहले की ही बात है कि सत्यम में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 25.6 प्रतिशत तक थी। इसके बाद हिस्सेदारी घटाने का दौर शुरू हुआ।
कंपनी के हिस्सेदारी के पैटर्न पर नजर डालने से पता चलता है कि मार्च 2001 में प्रवर्तकों के पास कंपनी में 25.60 प्रतिशत इक्विटी थी जो बाद में हर साल कम होती गई।
मार्च 2002 तक हिस्सेदारी घटकर 22.26 प्रतिशत हो गई और मार्च 2003 में यह 20.74 प्रतिशत हो गई। कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी मार्च 2004 में घटकर 17.35 प्रतिशत हो गई, जिसके बाद मार्च 2005 और मार्च 2006 में यह क्रमश: 15.67 प्रतिशत और 14.02 प्रतिशत हो गई।
हिस्सेदारी में सबसे अधिक गिरावट मार्च 2007 में आई जब हिस्सेदारी 8.79 प्रतिशत के साथ इकाई आंकड़े में रह गई। इसके बाद दिसंबर, 2008 में यह हिस्सेदारी 5.13 प्रतिशत रह गई।
घटती हिस्सेदारी
वर्ष प्रवर्तक हिस्सेदारी
(प्रतिशत में)
मार्च 2001 25.60
मार्च 2002 22.26
मार्च 2003 20.74
मार्च 2004 17.35
मार्च 2005 15.67
मार्च 2006 14.02
मार्च 2007 8.79
दिसंबर 2008 5.13
जनवरी 2009 3.6