खुदरा कारोबार के मूल्यांकन में आई भारी गिरावट की वजह से फास्ट फूड कंपनी निरूलाज के विनिवेश में रोड़ा अटक गया है।
दरअसल मूल्य को लेकर बड़ा अंतर हो रहा है। मलेशियाई कंपनी नेविस कैपिटल पार्टनर ने कंपनी में विनिवेश करने की बात कही थी और एन एम रॉश चाइल्ड को इसके सलाह के लिए नियुक्त किया गया था।
कुछ कंपनियां इससे इसलिए बाहर हो गई, क्योंकि मौजूदा आर्थिक संकट के माहौल में यह कीमत काफी अधिक है। नेविस ने कंपनी में बड़ी हिस्सेदारी ले रखी है। मई 2006 में 115 करोड़ रुपये की लागत से यह हिस्सेदारी ली गई थी।
एक प्रमुख बैंकर ने कहा, ‘हालांकि मांगी गई रकम 250 करोड़ रुपये थी, लेकिन कंपनियां इतनी ऊंची कीमत देने को तैयार नहीं थी। कंपनियां 120 करोड़ के आसपास दे सकती है।’ दूसरी तरफ निरूला के एक सूत्र ने बताया कि मलेशियाई कंपनी 450 करोड़ से अधिक रकम चाह रही थी।
दूसरे बैंकर ने कहा, ‘अभी के निवेश के माहौल में भारत में फूड चेन के कारोबार में भारतीय कंपनियों की उपस्थिति की वजह से विदेशी कंपनियों के लिए उतना अवसर उपलब्ध नहीं है। कुछ उत्तर भारत के उद्यमियों ने विदेशी कंपनियों से बात भी की है, लेकिन वह असफल रहा है।’
हालांकि इस घटनाक्रम पर निरूला के प्रबंध निदेशक समीर कुकरेजा ने किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उनकी हिस्सेदारी कंपनी में काफी कम है। उन्होंने कहा, ‘ हमलोग जल्दबाजी में नहीं हैं।’
निवेश बैंकर की नियुक्ति के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस परिसंपत्ति में नेविस को भी विनिवेश करने की जल्दबाजी नहीं है। वैसे भी यह परिसंपत्ति अभी अच्छा प्रदर्शन कर रही है और पैसा भी कमा रही है।
वास्तविक योजना के मुताबिक नेविस कैपिटल निवेश के तीन साल के भीतर इस वेंचर से बाहर हो जाने का लक्ष्य बना रही थी। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें, तो अगर मागी गई रकम सही नहीं होती है, तो यह करार जून 2009 तक भी संभव नहीं हो पाएगा।
