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IBC में पेट्रोलिययम संपत्तियों पर स्थगन नहीं : MCA

पेट्रोलियम मंत्रालय ऐसी संपत्तियों जैसे तेल कुओं को पेट्रोलियम मंत्रालय अपने कब्जे में वापस ले सकेगा और उन्हें दूसरे किसी को दे सकेगा

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रुचिका चित्रवंशी   
शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- June 16, 2023 | 11:26 PM IST

कंपनी मामलों के मंत्रालय (MCA) की हाल की एक अधिसूचना में कहा गया है कि दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही कंपनी द्वारा पट्टे पर दी गई पेट्रोलिययम संपत्तियों को दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत स्थगन (मॉरेटोरियम) से छूट मिलेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नए प्रावधान का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पेट्रोलियम सेक्टर की राष्ट्रीय संपत्ति बेकार न पड़े।

इसका मतलब यह हुआ कि पेट्रोलियम मंत्रालय ऐसी संपत्तियों जैसे तेल कुओं को पेट्रोलियम मंत्रालय अपने कब्जे में वापस ले सकेगा और उन्हें दूसरे किसी को दे सकेगा।

सरकार के कदम का समर्थन करते हुए पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम भारत के तेल उत्पादन को ऐसे समय में तेजी से विस्तार देने पर काम कर रहे हैं, जब वैश्विक आपूर्ति पर भूराजनीतिक वजहों से पहले से ज्यादा दबाव है। ऐसी स्थिति में यह उचित नहीं होगा कि कोई तेल का कुआं इसलिए निष्क्रिय रहे, क्योंकि कंपनी दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही है।’

वीडियोकॉन की तेल एवं गैस अन्वेषण कंपनी वीडियोकॉन ऑयल वेंचर्स लिमिटेड ऐसी कंपनियों में है, जो 2019 में दिवाला प्रक्रिया में चली गई। कॉर्पोरेट दिवाला प्रक्रिया का उसके तेल बेसिन पर असर पड़ा और वह स्थगन के अधीन आ गया।

इक्रा रेटिंग्स के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ‘भारत में तेल व गैस के उत्पादन व अन्वेषण में बहुत कम कंपनियां लगी हैं। इनमें से ज्यादातर कंपनियां बड़ी और सरकार द्वारा संचालित हैं। उन्हें धन की कमी नहीं होती। परिणामस्वरूप सरकार के हाल के दिशानिर्देश का जमीनी स्तर पर सीमित असर पड़ेगा।’

अमेरिका जैसे बड़े बाजारों के विपरीत भारत में बहुत कम छोटे स्वतंत्र कारोबारी हैं। विश्लेषकों ने कहा कि कई अन्य सेक्टर की तुलना में इस सेक्टर की कंपनी के दिवाला प्रक्रिया में जाने की संभावना कम रहती है क्योंकि कई तकनीकी आकलन जैसे भूवैज्ञानिक सर्वे धन जुटाने के पहले कर लिए जाते हैं।केंद्र सरकार 9वें ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) दौर के तहत 26 तेल ब्लॉकों की पेशकश करने पर काम कर रही है, जिसकी बोली जुलाई में खुलने की उम्मीद है।

इसका नकारात्मक पहलू यह है कि अगर कोई कंपनी दिवाला में जाती है तो सरकार की हाल की अधिसूचना की वजह से संभावित खरीदार की ओर से उसकी बोली मिलने की संभावना पर असर पड़ सकता है।

वशिष्ठ का कहना है कि तेल कंपनी का मूल्यांकन इस पर निर्भर रहता है कि वह कितने भंडार के अन्वेषण व उत्पादन पर काम कर रही है। अगर इन संपत्तियों को बाहर कर दिया जाता है तो मूल्यांकन की जगह बहुत कम बचती है।

MCA की 14 जून की अधिसूचना में कहा गया है कि IBC की धारा 14 के तहत स्थगन का प्रावधान उन जगहों पर लागू नहीं होगा, जहां कॉर्पोरेट कर्जदार का ऑयलफील्ड्स रेगुलेशन ऐंड डेवलपमेंट ऐक्ट, 1948 के तहत कोई उत्पादन या राजस्व साझा करने का समझौता, अन्वेषण लाइसेंस और खनन पट्टा है।

First Published : June 16, 2023 | 11:26 PM IST