पूरे देश में लॉकडाउन नहीं लगने और नए कॉरपोरेट दिवालिया मामलों के लिए आवेदनों की कम संख्या को ध्यान में रखते हुए सरकार कोविड-19 महामारी को कंपनियों के लिए राहत उपायों की त्वरित जरूरत पर विचार नहीं कर रही है।
देश में महामारी के प्रभाव के बाद पिछले साल सरकार ने कंपनियों पर दबाव कम करने के लिए कई उपायों की घोषणा की थी। इनमें से एक कदम आईबीसी संहिता को स्थगित करना था। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने सालाना रिपोर्टों की पेशकश के लिए समय-सीमा भी आगे बढ़ा दी थी और देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से वर्चुअल बोर्ड बैठकों को अनुमति दी थी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं। किसी खास रियायत को लेकर उद्योग से ऐसी कोई मांग सामने नहीं आई है। हम एनसीएलटी में किसी तरह की व्यस्तता भी नहीं देख रहे हैं। हमें यह देखना होगा कि स्थिति कैसी रहेगी।’
उन्होंने यह भी कहा कि कंपनियों के लिए प्राथमिकता मौजूदा समय में चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करना और संकट की घड़ी में राहत प्रदान करना है।
अन्य अधिकारी ने कहा कि कंपनियों आभासी तौर पर कार्य करने में सक्षम हुई हैं और उन्हें ऑनलाइन के माध्यम से बैठकें करने की अनुमति दी गई है।
पिछले साल कोविड राहत उपायों के तौर पर दी गईं कुछ रियायतें जून 2021 में समाप्त हो जाएंगी। उदाहरण के लिए, इनमें सालाना वित्तीय विवरणों की मंजूरी, बोर्ड की रिपोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या अन्य ऑडियो विजुअल माध्यमों जैसे मामलों के संबंध में रियायतें शामिल हैं।
अधिकारियों का कहना है कि सरकार हालात को ध्यान में रखकर इनमें से कुछ रियायतों में बदलाव ला सकती है।
खुलासा शर्तों से संबंधित कंपनी ऑडिटर्स रिपोर्ट ऑर्डर (सीएआरओ) 2020 का क्रियान्वयन भी अप्रैल 2021-22 तक टाल दिया गया है।
