खनिज कारोबार से जुड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी थर्मल कारोबार को अलग करने की योजना बना रही है। एनएमडीसी एक और कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम बनाएगी।
इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस संयुक्त उपक्रम में कई कंपनियों की हिस्सेदारी हो सकती है। जबकि बहुलांश हिस्सेदारी एनएमडीसी के पास ही रहेगी। एनएमडीसी को मध्य प्रदेश में दो ब्लॉक मिले हैं।
इसके अलावा कंपनी को पश्चिम बंगाल के वीरभूम में भी ब्लॉक मिलने की उम्मीद है। वीरभूम में करीब 2 अरब टन कोयला होने का अनुमान है। एनएमडीसी के लिए यह बिल्कुल नया क्षेत्र है। अभी तक कंपनी लौह अयस्क का ही कारोबार करती थी।
एनएमडीसी देश में लौह अयस्क का उत्पादन और निर्यात करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी छत्तीसगढ़ के बैलाडिला और कर्नाटक की डोनीमलाई से 3 करोड़ टन लौह अयस्क का उत्पादन करती है।
वीरभूमि में कोयले की खदानों में एनएमडीसी की हिस्सेदारी 50 फीसदी है। जबकि पश्चिम बंगाल खनिज विकास और टे्रडिंग कॉर्पोरेशन की हिस्सेदारी 40 फीसदी और बाकी की 10 फीसदी हिस्सेदारी पश्चिम बंगाल बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड की है। हालांकि एनएमडीसी के पास वीरभूमि में अपनी 15 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का अधिकार है।
पिछले साल एनएमडीसी ने काफी कई कंपनियों के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम बनाए हैं। कंपनी ने रॉक फास्फेट खनन के लिए राष्ट्रीय कैमिकल ऐंड फर्टीलाइजर के साथ संयुक्त उपक्रम बनाया है।
इसके अलावा कंपनी ने खनिज उत्खनन क्षेत्र में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी रियो टिंटो के साथ भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
इसके तहत दोनों कंपनियां मिलकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए खान विकसित क रेंगी। एनएमडीसी ने स्पाइस एनर्जी समूह की कंपनी स्पाइस मिनरल्स ऐंड मेटल्स के साथ भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
साल के शुरू में एनएमडीसी ने खनन के लिए संयुक्त उपक्रम बनाने के लिए कंपनियों से निविदाएं भी मंगाई थी। इसके लिए एनएमडीसी को 35 कंपनियों से आवेदन मिले थे।
जिसमें 6 विदेशी कंपनियां भी थी। इन कंपनियों में से करीब 12 कंपनियां इस्पात उद्योग और बाकी 19 कंपनियां खनन क्षेत्र से जुड़ी हुई है।