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बिहार में जाति आधारित जनगणना पर हाईकोर्ट की रोक, नीतीश सरकार को लगा झटका

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एजेंसियां
Last Updated- May 04, 2023 | 3:50 PM IST

पटना हाईकोर्ट ने 4 मई को बिहार में जाति आधारित जनगणना पर अंतरिम रोक लगा दी। बिहार में जातियों की गणना और आर्थिक सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी की और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जातिगत और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण करने का यह अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। महाधिवक्ता पी.के. शाही ने कहा कि जनकल्याण की योजनाएं बनाने और सामाजिक स्तर को सुधारने के लिए सर्वेक्षण कराया जा रहा है। गौर करने वाली बात है कि बिहार सरकार ने 7 जनवरी को जाति सर्वेक्षण एक्सरसाइज शुरू की थी। इससे पहले आज, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में उनकी सरकार द्वारा की जा रही जातियों की गणना के विरोध पर नाराजगी व्यक्त की।

नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना के लिए केंद्र से बार-बार अनुरोध किया था और जब उन्हें वहां से निराशा हाथ लगी फिर उन्होंने सर्वे का आदेश दिया था।

उन्होंने कहा, “लेकिन मेरी समझ में नहीं आता कि लोगों को सर्वे से दिक्कत क्यों है। आखिरी बार जातिगत जनगणना 1931 में की गई थी। हमारे पास निश्चित रूप से एक नया अनुमान होना चाहिए।” 2021 में होने वाली जनगणना का जिक्र करते हुए, जिसमें महामारी की वजह से देरी हो गई, जद (यू) नेता नीतीश कुमार वे कहा, “दुर्भाग्य से, कारण समझ नहीं आता कि आखिर जनगणना अधर में क्यों लटकी हुई है।”

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नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक समूहों को विश्वास में लेने के बाद राज्य में जाति सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था। उन्होंने कहा, “जाति जनगणना के पक्ष में प्रस्ताव राज्य विधानसभा के दोनों सदनों में दो बार, सर्वसम्मति से पारित किए गए। प्रधानमंत्री से औपचारिक अनुरोध करने में सभी दलों के प्रतिनिधि मेरे साथ शामिल हुए थे।”

First Published : May 4, 2023 | 3:50 PM IST