उड़ीसा स्पंज पर कब्जा जमाने की जंग अब दिल्ली की मोन्नेट इस्पात ऐंड पावर के कूदने से और तेज हो गई है।
मोन्नेट इस्पात ने इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस डेवलपमेंट कंपनी (आईडीएफसी) से उड़ीसा स्पंज में 5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इससे मोन्नेट के पास कंपनी के कुल 27 फीसदी शेयर हो गए हैं।
सिंघल बंधुओं के आपसी घमासान में मोन्नेट के कूदने से उड़ीसा स्पंज के प्रवर्तक पी. के. मोहंती को सबसे ज्यादा फायदा होगा। भूषण समूह के संजय और नीरज सिंघल के बीच इस कंपनी को लेकर पहले से ही होड़ है। संजय सिंघल जहां भूषण पावर ऐंड स्टील के प्रवर्तक हैं तो नीरज सिंघल भूषण स्टील के प्रवर्तक हैं।
सूत्रों के मुताबिक, माना जा रहा है कि उड़ीसा स्पंज ने अपने प्रवर्तक पी के मोहंती की सलाह से ऑफर की पूरी योजना तैयार कर ली है। उम्मीद है कि यह ऑफर 28 फरवरी से पहले दे दिया जाएगा। समझा जाता है कि मौजूदा घटनाक्रम की भनक केवल छोटे भाई नीरज को थी, हालांकि नीरज की कंपनी भूषण स्टील ने इससे इनकार किया है।
मोन्नेट इस्पात के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, ”आईडीएफसी से पांच फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का रणनीतिक महत्व है।” उड़ीसा स्पंज के पास करीब 12 करोड़ टन लौह अयस्क और इतना ही कोयले का भंडार होने का अनुमान है।
मोन्नेट का ऑफर प्राइस संजय सिंघल के 300 रुपये प्रति शेयर के मौजूदा ऑफर से थोड़ा ज्यादा होने का अनुमान है। संजय ने 300 रुपये का ऑफर तब दिया था जब उनके छोटे भाई नीरज सिंघल ने यूनिटेक से 9 फीसदी की हिस्सेदारी खरीद उड़ीसा स्पंज में अपनी हिस्सेदारी 14.8 फीसदी कर ली थी। इसके अलावा, उन्होंने 35 लाख वारंट भी खरीद लिए थे।
