कभी बिजली की किल्लत, कभी पेट्रोल की और कभी घर में ईंधन की। लेकिन इन दिक्कतों से दोचार होने का सिलसिला कुछ साल ही चलना है क्योंकि जल्द ही इन सबकी दवा मिलने वाली है.. गैस।
जी हां, देश की अर्थव्यवस्था जल्द ही तेल का दामन छोड़कर गैस आधारित बनने जा रही है। हाइड्रोकार्बन्स महानिदेशालय के पूर्व प्रमुख अविनाश चंद्रा भी इस बात पर मुहर लगाते हैं। उनका अनुमान है कि भारत अपने पूर्वी तट से कम से कम 2,00,000 अरब क्यूबिक फीट (टीसीएफ) गैस खोज सकता है।
निजी क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पूर्वी तट पर स्थित कृष्णा गोदावरी बेसिन के डी 6 ब्लॉक से गैस का उत्पादन शुरू भी कर दिया है। कंपनी की योजना जुलाई के अंत तक 4 करोड़ क्यूबिक मीटर गैस का रोजाना उत्पादन करने की है। इस उत्पादन को साल के आखिर तक दोगुना करने का विचार भी है।
देश में बिजली की किल्लत छिपी हुई नहीं है। गैस से इसे दूर किया जा सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रेसीडेंट और सीईओ (पेट्रोलियम) पी एम एस प्रसाद कहते हैं, ‘गैस के जरिये किसी भी घर की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो सकेंगी। बिजली के अलावा इसे कई चीजों में इस्तेमाल किया जा सकेगा।’
देश में गैस पाइपलाइन का जाल बढ़ता जा रहा है। रिलायंस के अलावा गेल भी इस काम में जुटी है। देश में एक गैस पाइपलाइन ग्रिड भी शुरू हो जाएगी। देश के कई शहरों में जल्द ही पाइपों के जरिये गैस मिलने लगेगी। इसके लिए सरकार ने 74 शहरों का चयन भी कर लिया है।
कंपनियां भी इस मौके को लपकने के लिए तैयार बैठी हैं। मारुति सुजूकी दो साल के भीतर सीएनजी मॉडल बाजार में पेश करने जा रही है। टाटा मोटर्स भी इस होड़ में पीछे नहीं रहना चाहती। मुंबई में गैस से चलने वाले गीजर्स चलन में आ चुके हैं। इसके अलावा थर्मेक्स और वोल्टास मॉल्स, रेस्तरां, थियेटर जैसी जगहों को ठंडा करने के लिए गैस से चलने वाले वेपर एब्जॉर्पशन चिलर्स बना रही हैं।
गैस उत्पादन बढ़ने से किल्लत होगी दूर
जल्द ही दुरुस्त होगा शहरों में गैस वितरण
घरों में पाइपों के जरिये मिलने लगेगी गैस
बिजली की किल्लत जैसी दिक्कतें होंगी दूर
