इंजीनियरिंग एवं निर्माण क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) मार्च तिमाही (चौथी तिमाही) के दौरान समेकित राजस्व में सालाना आधार पर दो अंकों की वृद्धि दर्ज कर सकती है। अधिकतर विश्लेषकों का मानना है कि सीजन के लिहाज से दमदार तिमाही के दौरान अधिक निष्पादन और कमजोर आधार से कंपनी के प्रदर्शन को बल मिलेगा।
सीएलएसए के विश्लेषकों ने एक रिपोर्ट में कहा है कि समेकित राजस्व वृद्धि काफी हद तक बुनियादी ढांचा श्रेणी में सालाना आधार पर 44 फीसदी की दमदार वृद्धि से संचालित होगी। दिसंबर 2020 में समाप्त हुए नौ महीनों के दौरान एलऐंडटी के समेकित राजस्व में बुनियादी ढांचे की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। उसके बाद सेवाओं (सूचना प्रौद्योगिकी आदि) की 36 फीसदी और हाइड्रोकार्बन की 13 फीसदी है। कंपनी शुक्रवार को मार्च तिमाही के लिए अपने वित्तीय नतीजों की घोषणा कर सकती है। कंपनी के ऑर्डर प्रवाह में भी सुधार होने की उम्मीद है जिसे कारोबार का एक प्रमुख संकेतक माना जाता है।
नोमुरा के विश्लेषकों ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि बुनियादी ढांचा श्रेणी के ऑर्डर में तेजी के कारण कंपनी दमदार ऑर्डर प्रवाह दर्ज करेगी।’ सड़क, रेल, मेट्रो और जल जैसे सभी श्रेणियों में रीप्लेसमेंट मांग और नई विस्तार परियोजनाओं सो ऑर्डर में मजबूती दिख रही है। इससे पूंजीगत वस्तु कंपनियों को फायदा हो रहा है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने कहा कि हमारा चैनल बुनियादी ढांचा, खुदरा और विनिर्माण से दमदार मांग का सुझाव देता है जिससे एलऐंडटी आदि कंपनियों को काफी फायदा होगा। आनंद राठी के विश्लेषकों ने चौथी तिमाही की अपनी पूर्व समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी ने तिमाही के दौरान दमदार ऑर्डर प्रवाह दर्ज किया है और हमें उम्मीद है कि समीक्षाधीन अवधि में एलऐंडटी का समेकित ऑर्डर प्रवाह 60,000 से 65,000 करोड़ रुपये (सालाना आधार पर 25 से 35 फीसदी अधिक) हो सकता है।
इस बीच, कुछ ब्रोकरेज का मानना है कि मार्च तिमाही में जिंस कीमतों में तेजी के कारण एलऐंडटी का मार्जिन प्रभावित हो सकता है। जिंस कीमतों में तेजी ने कंपनी के इनपुट लागत को बढ़ा दिया है। हाल के महीनों में सीमेंट, इस्पात और कच्चे तेल से संबंधित उत्पादों की कीमतों में तेजी आई है। उदाहरण के लिए, इस्पात की कीमतें (हॉट रोल्ड कॉइल्स) 60,000 रुपये प्रति टन पर अपनी सर्वकालिक ऊंचाई पर हैं जो दिसंबर तिमाही में करीब 45,000 रुपये प्रति टन रही थीं।
सालाना आधार पर आनंद राठी का मानना है कि एबिटा मार्जिन में 11 आधार अंकों की मामूली गिरावट आएगी जबकि मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज (एमओएसएल) का मानना है कि इसमें 36 आधार अंकों की गिरावट दिख सकती है। आईआईएफएल का मानना है कि एबिटा मार्जिन में 31 आधार अंकों की गिरावट आएगी क्योंकि एलऐंडटी जैसी इंजीनियरिंग एवं निर्माण क्षेत्र की बड़ी कंपनियां जिंस कीमतों में तेजी से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।
हालांकि कुछ अन्य विश्लेषकों की राय इससे अलग है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज का मानना है कि एबिटा मार्जिन में 32 आधार अंकों की वृद्धि होगी, लेकिन कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (केआईई) का मानना है कि इसमें 61 आधार अंकों की बढ़ोतरी हो सकती है जबकि नोमुरा के अनुसार इसमें 300 आधार अंकों की वृद्धि दिख सकती है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपने नोट में लिखा है, ‘हमारा मानना है कि चौथी तिमाही के दौरान प्रमुख इंजीनियरिंग एवं निर्माण कारोबार का एबिटा मार्जिन क्रमिक आधार पर बढ़कर 12.5 फीसदी हो जाएगा। परिचालन में सुधार होने से जिंस कीमतों में तेजी के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी।’
