नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग को डिफॉल्टर घोषित किया है। अब इस संकटग्रस्त ब्रोकिंग फर्म के ग्राहकों के लिए अपने बकाये की वसूली के लिए स्टॉक एक्सचेंज पर दावा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। जब किसी ट्रेडिंग सदस्य को डिफॉल्टर घोषित किया जाता है तो स्टॉक एक्सचेंज उसके ग्राहकों को निवेशक सुरक्षा निधि (आईपीएफ) से भुगतान कर सकता है।
हैदराबाद की इस कंपनी पर अपने ग्राहकों से जुड़ी प्रतिभूतियों का दुरुपयोग करने का आरोप है। डिफॉल्ट की कुल रकम 3,000 करोड़ रुपये से अधिक बताया जा रहा हौ जो किसी ब्रोकर द्वारा अब तक का सबसे बड़ा डिफॉल्ट है। हालांकि, पिछले सप्ताह एनएसई ने 2,35,000 ग्राहकों से संबंधित 2,300 करोड़ रुपये के फंड एवं प्रतिभूतियों का निपटान किया था।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा कमी 400 करोड़ रुपये से 800 करोड़ रुपये के बीच है। इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा, ‘प्रतिभूतियों को लेकर बैंकों और कार्वी के बीच विवाद चल रहा है। यदि अदालत कार्वी के पक्ष में फैसला सुनाती है तो डिफॉल्ट की रकम 400 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।’
कार्वी के लगभग 90,000 ग्राहकों को अभी तक बकाया नहीं मिला है। सूत्रों ने कहा कि इसमें से करीब 7,000 ग्राहक 230 करोड़ रुपये के दावे के साथ सामने आगे आए हैं। एनएसई कार्वी के ग्राहकों से दावा करने की अपील के साथ विज्ञापन जारी कर सकता है। एक्सचेंज आईपीएफ से प्रति ग्राहक 25 लाख रुपये तक का भुगतान कर सकता है बशर्ते कुछ शर्तें पूरी की गई हों।
दिसंबर 2019 में कार्वी प्रकरण के सामने आने के बाद बाजार नियामक सेबी ऐसे नियम बनाए जो ब्रोकरों को ग्राहक के शेयरों तक पहुंच बनाने से रोकते हैं। कार्वी को डिफॉल्टर घोषित करने में एनएसई को करीब एक वर्ष लग गया।
