महामारी के असर का सामना कर रही रिलायंस इंडस्ट्रीज के खुदरा व ऊर्जा कारोबारों की आय पर जून तिमाही में झटका लगने की आशंका है, लेकिन दूरसंचार कारोबार की आय में सुधार से उसे आंशिक राहत मिल सकती है।
आरआईएल अप्रैल-जून तिमाही के वित्तीय प्रदर्शन की जानकारी गुरुवार को देगी, जो कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के असर को पूरी तरह से प्रतिबिंबित करने वाली पहली तिमाही होगी।
ब्लूमबर्ग की रायशुमारी में 10 विश्लेषकों ने शुद्ध लाभ 7,119 करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है। कंपनी ने पिछले साल की समान अवधि में 10,104 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया था। इस रायशुमारी में 11 विश्लेषकों ने कंपनी का राजस्व इस तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है।
पिछली कई तिमाही से आरआईएल के उपभोक्ता कारोबार खुदरा व दूरसंचार ने कंपनी की आय में अहम बढ़ोतरी की है। कोविड के झटके के कारण जून तिमाही में यह सिकुड़कर अकेले दूरसंचार तक सीमित हो सकता है क्योंकि खुदरा की आय घटी है। ऐक्सिस कैपिटल के विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी का एबिटा सालाना आधार पर घटकर 18,500 करोड़ रुपये रह जाएगा। आरजियो के मजबूत प्रदर्शन से ऊर्जा व खुदरा कारोबारों में होने वाली गिरावट की भरपाई होगी। विश्लेषकों ने एक नोट में ये बातें कही है। जून तिमाही के पहले हिस्से में तेल की कीमतें नए निचले स्तर को छू गईं क्योंंकि दुनिया भर में औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित हुईं और इस वजह से पेट्रोलियम उत्पादों की मांग घटी। भारत में अप्रैल में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग सामान्य स्तर से घटकर एक तिहाई रह गई। ये चीजें आरआईएल की ऊर्जा आय में प्रतिबिंबित हो सकती हैं। आरआईएल अपने हाइड्रोकार्बन कारोबार के कर्मियों का वेतन घटाने को भी बाध्य हुई क्योंंकि महामारी के प्रतिकूल असर से तेल की मांग प्रभावित हुई। आरआईएल के संगठित खुदरा कारोबार की आय भी घटने की संभावना है और कोविड का असर फैशन व इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पर भी दिख सकता है।
सेंट्रम के विश्लेषकों का मानना है कि आरआईएल के लिए यह पिछले 3 वर्षों की सबसे खराब तिमाही हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘जून तिमाही सबसे खराब दिख रही है।’ उनका मानना है कि जून तिमाही के दौरान आरआईएल के पेट्रोकेमिकल कारोबार के एबिटा में सालाना आधार पर 49 फीसदी की गिरावट दिख सकती है जबकि उसके सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) में 2.9 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आ सकती है। विश्लेषकों के अनुसार, जून तिमाही के लिए जीआरएम 6.5 डॉलर से 9 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहने के आसार हैं। मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों ने कहा, ‘आरआईएल 9 डॉलर प्रति बैरल का जीआरएम दर्ज कर सकती है जिसे इन्वेंटरी लाभ के साथ-साथ तिमाही की शुरुआत में भारतीय रिफाइनरों द्वारा दी गई छूट से बल मिलेगा।’