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हिंदुस्तानियों पर भी तेजी से चढ़ रहा है गोल्फ का अनोखा जादू

Last Updated- December 08, 2022 | 1:48 AM IST

क्रिकेट का जन्म भले ही ब्रिटेन में हुआ हो, लेकिन इसके दीवानों में सबसे आगे हम हिंदुस्तानी ही हैं।


ऐसे मुल्क में किसी और खेल में लोगों की इतनी रुचि जगाना नामुमकिन सा लगता है। लेकिन यह नामुमकिन भी मुमकिन की शक्ल अख्तियार कर रहा है। हमारे मुल्क में अब गोल्फ के कद्रदानों की तादाद दिन दुनी, रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रही है।

यकीन नहीं होता तो आंकड़ों को देख लीजिए। भारत इस साल अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर के दो गोल्फ टूर्नामेंटों की मेजबानी कर चुका है, जबकि कई और टूर्नामेंटों के लिए मैदान तैयार हो चुके हैं। मुल्क में अब तक 25-25 लाख डॉलर की पुरस्कार राशि वाले यूरोपियन टूर इंडियन मास्टर्स और जॉनी वॉकर्स क्लासिक टूर्नामेंटों में दुनिया के बड़े-बड़े गोल्फर अपना जलवा दिखा चुके हैं।

जब तक यह साल खत्म होगा, तब तक दुनिया के कई और नामचीन गोल्फर भी मुल्क में आयोजित होने वाले टूर्नामेंटों से कम से कम 80 करोड़ रुपये की मोटी-ताजी इनामी रकम इकट्ठा कर लेंगे। दूसरी तरफ, पिछले साल देसी गोल्फ टूर्नामेंटों से खिलाड़ियों को केवल 38 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी।

बात केवल टूर्नामेंटों तक ही सीमित नहीं है। अब तो स्पोट्र्स चैनल, टेन स्पोट्र्स भी पूरी तरह से गोल्फ को समर्पित अपने जल्द ही लॉन्च होने वाले चैनल टेन गोल्फ को देसी बाजार में भी लॉन्च करने जा रहा है। ईएसपीएन-स्टार स्पोट्र्स ने तो पिछले एक डेढ़ साल से ही गोल्फ की कवरेज में 100 फीसदी की बढ़ोतरी की है।

दो बड़े पब्लिशिंग हाउसों, इंडिया टुडे ग्रुप और मीडिया ट्रांसैशिया ने बकायदा गोल्फ मैगजीन का प्रकाशन करना शुरू कर दिया है। उनका दावा है कि इन मैगजीनों की बिक्री भी अच्छी खासी हो रही है। आलम यह है कि गोल्फ टूर्नामेंट का प्रायोजक बनने के लिए कंपनियों के बीच जबरदस्त होड़ मची हुई है।

बाजार में दुपहिया वाहनों के बड़े खिलाड़ी हीरो होंडा, गौतम थापर की अवंता ग्रुप, रियल स्टेट कंपनी डीएलएफ, एम्मार-एमजीएफ, यूबी गु्रप और आईसीआईसीआई बैंक भी गोल्फ टूर्नामेंटों पर पैसा लगा रही हैं। इसमें से कई कंपनियां इसके लिए दिल खोलकर पैसे लुटाने के लिए तैयार हैं। आप यह मान सकते हैं कि खेलों में गोल्फ और उससे जुड़े कारोबार बड़ी ऊंचाइयां हासिल कर रहे हैं। हालांकि, क्रिकेट की तुलना में अब भी इसे लंबा रास्ता तय करना है।

गोल्फ के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विज्ञापनों के लिए 20 से 25 करोड़ रुपये सालाना खर्च किए जाते हैं, जो क्रिकेट की तुलना में महज दो फीसदी ही हैं। वैसे, अब इसमें बढ़ोतरी हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि देश में लगभग दो लाख सक्रिय गोल्फर हैं और लगभग 200 गोल्फ कोर्स हैं। सबसे खास बात यह है कि इसमें से केवल दो ही पब्लिक कोर्स हैं। दूसरे कोर्स प्राइवेट या एक्सक्लूसिव क्लब हैं।

इससे आप यह बड़ी आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि यह खेल अमीरों में कितना लोकप्रिय है। अमीर लोग अपने लिए प्राइवेट या एक्सक्लूसिव क्लब बनवाते हैं। दरअसल, यह खेल ही लोगों को बेहद खास लगता है। जैसे-जैसे लोगों के वेतन में बढ़ोतरी होती है वैसे ही लोग खुद को क्रिकेट के बजाए ऐसे खेल से जोड़ना चाहते हैं जो उनकी जीवनशैली से जुड़ा हुआ लगे।

गोल्फ के जरिए नेटवर्किंग बनाने का भी मौका मिलता है और खेल आपके लिए एक बहुत अच्छा व्यायाम भी साबित होता है। अगर आपने गोल्फ कोर्स के 18 होल में गेंद डाल दी तो इससे आप अपने शरीर की 3,600 कैलोरी कम कर सकते हैं और आप अपने गोल्फ बैग को भी आप खुद ही उठा सकते हैं।

ऋषि नारायण गोल्फ मैनेजमेंट के ऋषि नारायण का कहना है, ‘गोल्फ के जरिए दुनिया से संपर्क बनता है और जो ब्रांड पूरी दुनिया से जुड़ना चाहते हैं उनके लिए गोल्फ का खेल बेहतर विकल्प होता है।’ हीरो होंडा के पवन कांत मुंजाल और गौतम थापर दोनों ही बहुत जोशीले गोल्फर हैं।

प्रोफेशनल गोल्फ टूर ऑफ इंडिया के टूर कमिश्नर अजय गुप्ता का कहना है, ‘जिस तरह से गोल्फ इवेंट की तादाद बढ़ रही है वैसे ही ज्यादा मल्टीनेशनल विज्ञापनों की संख्या भी बढ़ रही है। आप यह समझ सकते हैं कि गोल्फ टूर्नामेंट एक ऐसा प्लेटफार्म साबित हो रहा है जहां आज कई ब्रांड खुद की पहचान बना सकते हैं।’

गुप्ता का कहना है कि रियल एस्टेट डेवलपर्स गोल्फ में बहुत ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं तो इसका बहुत फायदा मिल सकता है। उनका कहना है, ‘दरअसल डेवलपर्स गोल्फ के जरिए अपनी प्रॉपर्टी के विज्ञापनों का विकल्प भी देख रहे हैं। अभी लगभग 40 नए गोल्फ कोर्स पर काम भी चल रहा है।’

डीएलएफ और यूनिटेक जैसी बड़ी नामी रियल एस्टेट कंपनियां गोल्फ कोर्स बनाने के लिए ही जानी जाती हैं। पहले तो गोल्फ नौकरशाहों और आर्मी ऑफिसरों के लिए ही पहचाना जाता था लेकिन अब भविष्य में यह युवाओं के लिए भी बेहतर खेल साबित होगा। अब गोल्फ क्लब के दरवाजे युवाओं के लिए भी खोले जाएंगे।

हमारे देश के कई गोल्फर मसलन जीव मिल्खा सिंह, ज्योति रंधावा और अर्जुन अटवाल जैसे खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाल में बेहतरीन प्रदर्शन किया। इसकी वजह से भी लोगों में बहुत दिलचस्पी बढ़ रही है। इसी वजह से खेल के प्रसारकों के लिए भी कारोबार के लिहाज से यह एक बेहतर विकल्प साबित हुआ है।

गुड़गांव के मीडिया प्लानिंग एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘गोल्फ के दर्शकों की कमी नहीं है। ये दर्शक आमतौर पर बहुत ऊंचे आय वर्ग से जुड़े होते हैं उनकी वजह से विज्ञापनदाताओं की जरूरतें भी पूरी हो जाती है।’

First Published - October 30, 2008 | 10:00 PM IST

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