प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय आईटी सेवा कंपनियां वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में क्रमिक आधार पर निचले एक अंक में वृद्धि दर्ज कर सकती है। इस बीच अस्थिर भू-राजनीतिक हालात के कारण व्यापक आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। हालांकि आगे की राह बहुत अच्छी नहीं दिखती। लेकिन आईटी कंपनियां (जो अपने राजस्व के बड़े हिस्से के लिए अमेरिका पर निर्भर हैं) खर्च के माहौल में कोई खास गिरावट नहीं होने का संकेत देती हैं। इसलिए 30 जून को समाप्त होने वाली तिमाही आशंका से थोड़ी बेहतर नजर आ रही है।
एक अंतरराष्ट्रीय शोध फर्म के वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा, यह तिमाही मार्च जितनी खराब नहीं होगी, लेकिन जनवरी जितनी भी अच्छी नहीं होगी। हालांकि खर्च में कोई बड़ी कटौती नहीं हुई है, लेकिन इस माहौल में वृद्धि हासिल करना मुश्किल है। ग्राहक अभी भी खर्च को लेकर सतर्क हैं। लार्ज कैप कंपनियों के लिए हमारा वृद्धि अनुमान 2 फीसदी से कम है जबकि निचले स्तर पर यह सबसे खराब स्थिति में क्रमिक आधार पर करीब 1.5 फीसदी नकारात्मक है।
मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल जैसी कंपनियों के लिए राजस्व परिदृश्य बेहतर रहेगा। हालांकि उसने आगाह किया कि विवेकाधीन खर्च में सुधार नहीं होने के कारण वृद्धि धीमी बनी रहेगी। महीने की शुरुआत में उसने एक नोट में कहा था, अधिकांश कंपनियों के पास मजबूत प्रस्ताव हैं। लेकिन मांग का झुकाव बड़े विक्रेता एकीकरण / लागत कम करने वाले सौदों की ओर है। जिसका अर्थ है कि ऑर्डर बुक का राजस्व में बदलाव धीमा होगा।
बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (बीएफएसआई) सभी कंपनियों के लिए राजस्व का मुख्य स्रोत है। इसकी मांग विशेष रूप से अमेरिका में मजबूत बनी हुई है। दो सबसे बड़ी आईटी कंपनियों- टीसीएस और इन्फोसिस ने कहा है कि इस क्षेत्र के पास विशेष रूप से बड़े अमेरिकी बैंक हैं। यह सेवा प्रदाताओं के लिए अच्छा संकेत है क्योंकि जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (जेन एआई) के कारण उन बैंकों में पुरानी प्रणाली का आधुनिकीकरण राजस्व के लिहाज से अतिरिक्त अवसर बन जाता है। एक साल पहले की तुलना में एक्सेंचर का वित्तीय सेवा कारोबार अपनी तीसरी तिमाही में 13 फीसदी बढ़ा। अन्य क्षेत्रों जैसे खुदरा, ऑटो, विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा में भी पिछली तिमाहियों की तरह ही खर्च में कमी आने की उम्मीद है क्योंकि माल की आवाजाही, आपूर्ति श्रृंखला संबंधी दिक्कतों से जुड़ी अनिश्चितताएं और इस कारण विवेकाधीन मांग में कमी बरकरार हैं।
पिछले हफ्ते आए एक्सेंचर के तीसरी तिमाही के नतीजे संकेत दे सकते हैं कि उसकी भारतीय समकक्ष कंपनियों के लिए क्या होने वाला है। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी ने कहा कि उसका प्रबंधित सेवा राजस्व 9 फीसदी बढ़कर 8.7 अरब डॉलर हो गया और उसने अपने अनुमान के निचले स्तर को 5-7 फीसदी से बढ़ाकर 6-7 फीसदी कर दिया। हालांकि यह राजस्व प्रस्तावों में कुछ सकारात्मक स्पष्टता दिखाता है, लेकिन नई बुकिंग 6 फीसदी घटकर 19.7 अरब डॉलर रह गई।
फॉरेस्टर रिसर्च के उपाध्यक्ष और शोध निदेशक आशुतोष शर्मा ने कहा, हमें उम्मीद नहीं कि इस तिमाही में कोई भी भारतीय हेरिटेज प्रदाता उल्लेखनीय रूप से बेहतर प्रदर्शन करेगा क्योंकि अस्थिरता और अनिश्चितता बरकरार है। ये सभी कंपनियां अनिवार्य रूप से विवेकाधीन खर्च से पैसा कमाती हैं। अगर प्रबंधित सेवा व्यवसाय जारी रहता है तो शायद इसमें थोड़ी वृद्धि होगी, लेकिन इस कारण उनके मार्जिन में वृद्धि नहीं होगी।
विश्लेषक दो और संकेतकों पर भी नजर रखेंगे। क्या इन्फोसिस अपने अनुमान संशोधित करती है, जिसे अप्रैल में पूरे वर्ष के लिए 0-3 फीसदी रखा गया था और टीसीएस अपने कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि पर क्या टिप्पणी करती है। भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा प्रदाता ने अप्रैल में वेतन-वृद्धि को स्थगित कर दिया था और कहा था कि वित्त वर्ष के दौरान उचित समय पर इसमें बढ़ोतरी की जाएगी जब अनिश्चितता कम हो जाएगी और कंपनी को भविष्य में बेहतर स्पष्टता मिलेगी।
हालांकि, मार्जिन पर दबाव रहेगा। तीन महीने पहले की तुलना में यह परिदृश्य बेहतर तो है, लेकिन यह अभी भी वित्त वर्ष की शुरुआत में लगाए गए अनुमानों से कमजोर है। मॉर्गन स्टैनली का अनुमान है कि अगले दो वर्षों में एबिटा की सालाना चक्रवृद्धि दर एक अंक में रहेगी।