उद्योग

Garment export: अमेरिका ने भारत के कपड़ों पर आयात शुल्क दोगुना किया, निर्यात पर संकट

वॉलमार्ट, अमेज़ॉन जैसी बड़ी कंपनियों ने नए ऑर्डर रोके; बांग्लादेश और वियतनाम को मिल सकता है फायदा, निर्यात 40-50% तक घटने का अंदेशा

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शाइन जेकब   
शार्लीन डिसूजा   
देव चटर्जी   
Last Updated- August 08, 2025 | 10:18 AM IST

भारत से आयात पर शुल्क बढ़ाने के अमेरिकी कदम से वस्त्र एवं परिधान निर्यात उद्योग ठहर गया है। व़ॉलमार्ट, टारगेट, एमेजॉन, टीजेएक्स कंपनीज, गैप इंक और एचऐंडएम सहित सभी बड़ी अमेरिकी कंपनियों ने भारत में अपने आपूर्तिकर्ताओं से कह दिया है कि शुल्क पर तस्वीर साफ होने तक ऑर्डर न भेजें। कंपनियां पहले से मिले ऑर्डर 27 अगस्त से पहले भेजने में जुट गई हैं ताकि खरीदारों पर अतिरिक्त शुल्क न लगे।

बाइंग एजेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष एवं एसएनक्यूएस इंटरनैशनल्स के प्रबंध निदेशक ई विश्वनाथन ने कहा,’खरीदारों ने हमसे कहा है कि अभी कोई बिल नहीं बनाया जाए। उन्होंने आर्डर से जुड़ी जो भी पूछताछ थी उसे भी रोक दिया है। आयात करने वाली कंपनियों को भारत से आयात रोकने के लिए कहा गया है।’

भारत के कपड़ों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। जनवरी से मई 2025 के दौरान भारत से अमेरिका को 4.59 अरब डॉलर मूल्य के परिधान निर्यात किए गए। पिछले साल जनवरी से मई की तुलना में यह आंकड़ा 13 प्रतिशत से अधिक था। उस समय 4.05 अरब डॉलर के परिधान निर्यात किए गए थे। समूचे 2025 में अमेरिका ने भारत से लगभग 10.8 अरब डॉलर के वस्त्र एवं परिधानों का आयात किया था।

बहरहाल उद्योग जगह से जुड़े लोगों का यह भी कहना है कि ऑर्डर रोकने का मतलब इन्हें रद्द करना या भारत के बजाय दूसरे बाजारों से आयात करना नहीं है। ऑर्डर दूसरे देश को देने का मतलब है कि आपूर्ति के पूरे तंत्र और विनिर्माण को यहां से हटाकर कहीं और ले जाना। इसे ध्यान में रखते हुए वैश्विक कंपनियां फिलहाल भारतीय बाजार से अपना नाता नहीं तोड़ेंगी।

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किटेक्स गारमेंट्स के प्रबंध निदेशक साबू एम जैकब ने कहा, ‘सभी कंपनियों ने ऑर्डर रोक दिए हैं क्योंकि शुल्कों में बढ़ोतरी के साथ कीमत यानी प्राइस टैग भी बदलने होंगे। आर्डर रोकने का मतलब इन्हें रद्द करना नहीं है, बस प्राइस टैग बदलने होंगे।’ जैकब ने कहा कि फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि ऑर्डर कब तक रुके रहेंगे, इसलिए हम उत्पादन भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी समस्या यह है कि अनिश्चितता के कारण आपूर्ति भी नहीं की जा रही है।

विश्वनाथन ने कहा, ‘सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि बांग्लादेश, वियतनाम और चीन जैसे जो देश हमसे होड़ कर रहे थे, उन पर शुल्क कम है। कई ऑर्डर इन देशों में जा सकते हैं। फिलहाल जो भी ऑर्डर हमारे पास हैं वे हमें 27 अगस्त से पहले भेजने होंगे।’ बांग्लादेश पर अमेरिका ने 20 प्रतिशत शुल्क लगाया है। इंडोनेशिया और कंबोडिया पर 19 प्रतिशत शुल्क है और वियतनाम पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है। चीन इस समय अमेरिका को वस्त्र एवं परिधान का सबसे बड़ा निर्यातक है। उसके बाद वियतनाम, भारत और बांग्लादेश आते हैं।

जानकारों का कहना है कि ये शुल्क अमेरिका को होने वाले निर्यात में 40-50 प्रतिशत गिरावट ला सकते हैं। क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) ने अमेरिका द्वारा शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। सीएमएआई ने इसे भारतीय परिधान निर्यात के लिए एक गंभीर झटका बताया है।

सीएमएआई के अध्यक्ष संतोष कटारिया ने कहा, ‘भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क और लगने से भारतीय परिधान उद्योग को करारा झटका लगेगा। कुल शुल्क 50 प्रतिशत होने पर बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के परिधानों की तुलना में भारतीय परिधान की कीमत 30-35 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। इससे भारतीय माल की मांग कम हो जाएगी।’

First Published : August 8, 2025 | 10:18 AM IST