बिजनेस स्टैंडर्ड के प्रमुख थॉट लीडरशिप समिट BS मंथन के दूसरे संस्करण में नीति आयोग के पूर्व सीईओ और G20 शेरपा अमिताभ कांत ने भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) क्रांति की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर भारत को आने वाले वर्षों में ग्लोबल लीडर बनना है, तो हमें EV और ग्रीन एनर्जी में आक्रामक तरीके से निवेश करना होगा। उन्होंने टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी भारतीय कंपनियों की तारीफ करते हुए कहा कि ये कंपनियां टेस्ला को भारतीय बाजार पर हावी नहीं होने देंगी। उनके अनुसार, अगर सरकार सही नीतियां अपनाए और भारतीय उद्योग तेजी से आगे बढ़े, तो हम EV सेक्टर में चीन और अमेरिका को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
EV अपनाना जरूरी, सरकार को बनना होगा रोल मॉडल
अमिताभ कांत ने कहा कि भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल उत्पादन और निर्यात का ग्लोबल चैंपियन बनना चाहिए। खासकर, दोपहिया और तिपहिया वाहनों के क्षेत्र में, क्योंकि यह हमारा सबसे मजबूत निर्यात बाजार बन सकता है। अगर हमने समय रहते EV सेक्टर में पूरी तरह शिफ्ट नहीं किया, तो यह बाजार हमारे हाथ से निकल सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को सिर्फ नीति बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि सरकार को खुद इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल करके मिसाल पेश करनी चाहिए।
उन्होंने अपने निजी अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने हाल ही में महिंद्रा की एक इलेक्ट्रिक कार बुक की है और वे पूरी तरह से EV अपनाने के लिए तैयार हैं। उनका मानना है कि जब सरकार खुद इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल करेगी, तभी आम लोग और कंपनियां भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने सरकार से अपील की कि पेट्रोल-डीजल कारों की खरीद बंद की जाए और सरकारी विभागों में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग किया जाए।
अमेरिका का UN से हटना – भारत के लिए बड़ा मौका
अमिताभ कांत ने अमेरिका के संयुक्त राष्ट्र (UN) जलवायु समझौते से हटने को भारत के लिए एक बड़ा अवसर बताया। उन्होंने कहा कि जब पिछली बार अमेरिका इस समझौते से बाहर हुआ था, तब चीन ने इसका भरपूर फायदा उठाया और ग्रीन एनर्जी बाजार पर कब्जा कर लिया। आज चीन दुनिया के 80% क्रिटिकल मिनरल्स, 78% सोलर मार्केट और 70% इलेक्ट्रिक व्हीकल उत्पादन को नियंत्रित करता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस बार भी भारत ने सही समय पर कदम नहीं उठाए, तो चीन फिर से बाजी मार लेगा। टेस्ला का वैश्विक EV बाजार में केवल 11% हिस्सा है, जबकि चीनी कंपनी BYD 21% हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है। भारत के पास मौका है कि वह EV सप्लाई चेन में बड़ा प्लेयर बने और अपने घरेलू बाजार को मजबूत करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाए।
सरकार को तेजी से फैसले लेने की जरूरत
अमिताभ कांत ने कहा कि भारत में अच्छे आर्थिक सुधार हो रहे हैं, लेकिन राज्यों में नीतियों के धीमे क्रियान्वयन से परेशानी बढ़ रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हमारे अर्थशास्त्री कम्युनिस्ट सोच रखते हैं और नौकरशाह समाजवादी मानसिकता से काम करते हैं, जिससे नीतियों का प्रभावी रूप से लागू होना मुश्किल हो जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत को तेजी से आगे बढ़ना है, तो हमें 6% की बजाय 8.5-9% की विकास दर हासिल करनी होगी। इसके लिए राज्य सरकारों को अनावश्यक नियमों को हटाकर व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाना होगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में शहरीकरण की गति को बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि अभी भी 46% आबादी कृषि पर निर्भर है। अगर शहरीकरण तेज नहीं हुआ, तो देश की अर्थव्यवस्था कभी भी पूरी क्षमता से नहीं बढ़ पाएगी।
भारत को वैश्विक ताकत बनाने के लिए जरूरी बदलाव
अमिताभ कांत ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक ताकत बनने के लिए कुछ अहम बदलाव करने की जरूरत है। सबसे पहले, राज्यों को नीतियों को तेजी से लागू करना होगा, जिससे उद्योगों को लाभ मिल सके। व्यापार को सरल बनाने के लिए बेकार और जटिल कानूनों को खत्म करना जरूरी है, ताकि उद्यमी बिना किसी बाधा के अपना व्यवसाय बढ़ा सकें।
उन्होंने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना को और मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि भारत में बड़ी घरेलू कंपनियां खड़ी हो सकें। साथ ही, सरकार को निजी क्षेत्र को आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक समर्थन देना चाहिए।