केंद्र सरकार ने देश में चिकित्सा उपकरणों के आयात, नैदानिक जांच, परीक्षण आदि को सुव्यवस्थित करने के लिए एकल खिड़की प्रणाली शुरू की है। भारत के औषधि महानियंत्रक राजीव रघुवंशी ने 1 जनवरी को जारी एक नोटिस में कहा कि राष्ट्रीय एकल खिड़की व्यवस्था (एनएसडब्ल्यूएस) स्थापित की गई है, जो एक वास्तविक एकल खिड़की प्रणाली है। यह निवेशकों की सभी मंजूरियों के लिए एकल मंच है, जिससे व्यापार सुगमता होगी।
इस पोर्टल को आईटी दिग्गज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने तैयार किया है। इसमें नैदानिक जांच, परीक्षण, मूल्यांकन, प्रदर्शन या प्रशिक्षण जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए चिकित्सा उपकरणों के निर्माण या आयात के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र और लाइसेंस के लिए आवेदन की सुविधा दी गई है।
नोटिस में कहा गया है कि एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल मौजूदा सुगम पोर्टल से अलग होगा। इसमें कहा गया है पुराने पोर्टल को 15 जनवरी तक बंद कर दिया जाएगा। एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल मेडिकल उपकरणों की मंजूरी, लाइसेंसों, पंजीकरणों, मंजूरियों आदि की सुविधा प्रदान करेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 के बजट भाषण में इनवेस्टमेंट क्लियरेंस सेल (आईसीसी) स्थापित किए जाने की घोषणा की थी। सीडीएससीओ ने नोटिस में कहा है कि प्रस्तावित आईसीसी को निवेशकों, उद्यमियों और कारोबारियों के लिए एनएसडब्ल्यूएस नाम से ऑनलाइन पोर्टल के रूप में विकसित किया गया है।
एनएसडब्ल्यूएस से निवेशक भारत में कारोबार शुरू करने से पहले ही आवेदन, स्थिति की जांच और मंजूरियां हासिल करने की सुविधा पा सकेंगे। निवेशकों को अब कई आईटी प्लेटफॉर्मों पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और विभिन्न हिस्सेदारों से मंजूरियां मिल सकेंगी।
भारत को 2030 तक 50 अरब डॉलर के मेडिकल उपकरणों की जरूरत होगी। देश में करीब 7.6 अरब डॉलर के मेडिकल उपकरणों का उत्पादन होता है, जिसमें से करीब 3.4 अरब डॉलर का निर्यात हो जाता है। देश में मेडिकल उपकरणों की सालाना मांग 12 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जिसमें से 7.6 अरब डॉलर के उपकरणों का आयात किया जाता है। इस तरह भारत के मेडिकल उपकरणों की जरूरत का करीब 70 प्रतिशत आयात होता है।