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जटिल प्रक्रियाओं, आयात पर अकुश से प्रभावित हो रहा है भारत का कपड़ा क्षेत्र: GTRI

GTRI का कहना है कि निर्यातकों की समस्या की जड़ में गुणवत्ता वाले कच्चे कपड़े, विशेष रूप से सिंथेटिक कपड़े हासिल करने में कठिनाई है।

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भाषा   
Last Updated- July 21, 2024 | 12:59 PM IST

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) और सीमा शुल्क की जटिल प्रक्रियाएं, आयात अंकुश और घरेलू निहित स्वार्थ जैसे मुद्दे भारतीय परिधान क्षेत्र की निर्यात वृद्धि को रोक रहे हैं। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने यह बात कही है।

जीटीआरआई का कहना है कि निर्यातकों की समस्या की जड़ में गुणवत्ता वाले कच्चे कपड़े, विशेष रूप से सिंथेटिक कपड़े हासिल करने में कठिनाई है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘बांग्लादेश और वियतनाम के विपरीत, जहां निर्यातकों को आसानी से गुणवत्ता वाले आयातित कपड़े मिलते हैं, भारतीय निर्यातकों को रोजाना संघर्ष करना पड़ता है। कपड़ों पर उच्च आयात शुल्क, डीजीएफटी और सीमा शुल्क की जटिल प्रक्रियाओं की वजह से निर्यातकों को हर इंच आयातित कपड़े के लिए हिसाब लगाना पड़ता है और संघर्ष करना पड़ता है।’’

उन्होंने कहा कि पॉलिएस्टर और विस्कोस स्टेपल फाइबर जैसे कच्चे माल पर अनिवार्य गुणवत्ता मानदंड लागू करने से आयात जटिल हो रहा है क्योंकि बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) धीमी गति से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं को पंजीकृत करता है। यह देरी निर्यातकों को घरेलू बाजार में एकाधिकार रखने वालों से ऊंची कीमतों पर खरीद के लिए मजबूर करती है।

जीटीआरआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डीजीएफटी और सीमा शुल्क की प्रक्रियाएं पुरानी हैं, और इसमें निर्यातकों को इस्तेमाल किए गए प्रत्येक वर्ग सेंटीमीटर कपड़े, बटन और जिपर का सावधानीपूर्वक हिसाब देना पड़ता है।

इसमें कहा गया है कि एक जटिल प्रक्रिया निर्यातकों को हतोत्साहित करती है। इसलिए इसमें व्यापक बदलाव की तत्काल जरूरत है। साथ ही जीटीआरआई का मानना है कि कपड़ा क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में भी बदलाव लाने की जरूरत है।

First Published : July 21, 2024 | 12:59 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)