प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत के 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के टायर उद्योग की राजस्व वृद्धि वित्त वर्ष 2026 में 7-8 फीसदी रहने का अनुमान है। इसकी वजह उसे मजबूत रीप्लेसमेंट मांग (पुराने टायर बदलवाने से) से मदद मिलने की संभावना होगी। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार इस क्षेत्र की सालाना बिक्री में रीप्लेसमेंट मांग का करीब 50 फीसदी हिस्सा है।
बढ़ते प्रीमियमाइजेशन रुझान से भी कमाई में कुछ सुधार की उम्मीद है, भले ही मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) की मांग धीमी बनी हुई है और वैश्विक व्यापार संबंधी प्रतिकूल हालात मौजूदा परिदृश्य को प्रभावित कर रहे हैं।
क्रिसिल ने पिछले वित्त वर्ष की तरह 5-6 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि का अनुमान जताया है। बड़े वाहन आधार, ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार और मजबूत माल ढुलाई की वजह से रीप्लेसमेंट सेगमेंट में 6-7 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है। ओईएम बिक्री 3-4 फीसदी बढ़ने का अनुमान है जिसे दोपहिया और ट्रैक्टरों की मजबूत बिक्री के साथ साथ यात्री एवं वाणिज्यिक वाहनों में थोड़े सुधार से मदद मिलेगी। बिक्री में 25 फीसदी का योगदान रखने वाला निर्यात भी 4-5 फीसदी की दर से बढ़ सकता है क्योंकि उसे यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से मदद मिल सकती है।
टायर निर्माता सिएट को सुधार के संकेत दिख रहे हैं। सिएट के सीएफओ और कार्यकारी निदेशक कुमार सुब्बैया ने कहा, ‘हमें कच्चे माल की कीमतें दूसरी तिमाही में पहली के मुकाबले 1-2 फीसदी तक गिरने का अनुमान है। खासकर कच्चे तेल और अंतरराष्ट्रीय रबर कीमतों में नरमी की वजह से इन कीमतों में कमी आ सकती है।’