प्रमुख विमानन कंपनी इंडिगो ने दो सप्ताह के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के निलंबन और नौ दिनों तक घरेलू परिचालन के बाधित होने से चौथी तिमाही में कमजोर परिचालन प्रदर्शन दर्ज किया है। हालांकि इस दौरान क्षमता में वृद्धि हुई और लोड फैक्टर में 310 आधार अंकों की गिरावट से ही यात्रियों की संख्या में कमी का पता चलता है। इससे एक साल पहले की समान तिमाही के मुकाबले इस विमानन कंपनी की राजस्व वृद्धि 5.3 फीसदी पर सिमट गई। हालांकि प्रति यात्री राजस्व और प्राप्ति अधिक होने से यात्रियों की संख्या में कमी से हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली।
कमजोर राजस्व आधार पर अधिक लागत के कारण परिचालन लीवरेज में वृद्धि हुई जिससे परिचालन स्तर पर नुकसान हुआ। जबकि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के कारण ईंधन लागत में एक साल पहले की समान तिमाही के मुकाबले मामूली वृद्धि हुई। ऐसे में रखरखाव और कर्मचारी लागत के अधिक होने से विमानन कंपनी के प्रदर्शन को झटका लगा। चौथी तिमाही के दौरान इंडिगो का कुल खर्च एक साल पहले की समान तिमाही के मुकाबले 30 फीसदी अधिक था।
रुपये में नरमी के कारण परिचालन पट्टों पर विदेशी मुद्रा विनिमय में नुकसान हुआ जिससे प्रति इकाई लागत में इजाफा हुआ। इसे समायोजित करने पर प्रति इकाई लागत 12 फीसदी अधिक होगी जबकि कंपनी ने लागत में 25.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। विमानन कंपनी ने 870 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में उसने 595 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था।
इंडिगो के प्रबंधन ने कहा है कि कोविड-19 प्रकोप के कारण क्षमता के स्तर में गिरावट विमानन कंपनी के लिए एक प्रमुख चुनौती है। ऐसे में प्रबंधन लाभप्रदता और वृद्धि के बजाय नकदी एवं नकदी प्रवाह को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। हालांकि उड़ानों के सुचारु होने के बाद मांग बढऩे से लोड फैक्टर बढ़ेगा और प्राप्तियों में भी इजाफा होगा, लेकिन प्रबंधन ने संकेत दिया है कि लोगों के बीच डर के कारण आगे मांग संबंधी चुनौतियां बरकरार रहेंगी जिसे कमजोर अर्थव्यवस्था और उड़ानों पर कई तरह की पाबंदियों से बल मिलेगा।
बहरहाल, विमानन कंपनी अगली कुछ तिमाहियों के दौरान निश्चित लागत वाले हिस्से में 3,000 करोड़ रुपये से 4,000 करोड़ रुपये की कटौती करने की संभावनाएं तलाश रही है। विमानन कंपनी की कुल लागत में निश्चित लागत का हिस्सा करीब 40 फीसदी है। इसके लिए संभावित उपायों में पुराने पुराने विमानों को बदलना, पूरक पट्टों को हटाना, वेतन में कटौती, आपूर्तिकर्ताओं के साथ नए सिरे से बातचीत और विवेकाधीन खर्च एवं पूंजीगत व्यय में कमी शामिल हैं।
विमानन कंपनी के लिए लघु अवधि का परिदृश्य कठिन होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय परिचालन बंद हैं और घरेलू मार्ग पर महज 20 फीसदी क्षमता पर उड़ानों का संचालन किया जा रहा है। हालांकि कंपनी स्थिति में सुधार होने की उम्मीद कर रही है लेकिन तमाम उपायों के बावजूद लागत को समायोजित करना मुश्किल होगा।
अग्रणी विमानन कंपनी के लिए राहत की बात केवल इतनी है कि उसके बहीखाते पर 8,900 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध है जिससे उसे इस संकट से निपटने में मदद मिलेगी।