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Indian Pharma Exports: अमेरिका में दवा किल्लत, भारतीय फार्मा कंपनियों को फायदा!

Indian Pharma Exports: विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति भारतीय दवा (फार्मा) निर्यातकों के लिए बढ़िया मौका है।

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सोहिनी दास   
Last Updated- May 28, 2024 | 11:00 PM IST

कैलेंडर वर्ष 2024 की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान 22 उपचारों से जुड़ी 323 दवाओं के साथ अमेरिका में दवाओं की कमी एक दशक में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुकी है। विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति भारतीय दवा (फार्मा) निर्यातकों के लिए बढ़िया मौका है।

आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने कहा कि अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हेल्थ-सिस्टम फार्मासिस्ट्स के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में सक्रिय दवाओं की कमी कैलेंडर वर्ष 2023 में 300 से 310 दवाओं पर स्थिर हो गई थी लेकिन कैलेंडर वर्ष 24 की पहली तिमाही में ये बढ़कर 323 दवाओं तक पहुंच गई है।

हालांकि विश्लेषक संक्रमणरोधी, हार्मोन, ऑन्कोलॉजी जैसी श्रेणियों की इन 323 दवाओं के बाजार आकार का अनुमान देने में सक्षम नहीं थे, लेकिन अमेरिका को कुल निर्यात साल 2023-24 (वित्त वर्ष 24) में पहले ही तेजी से बढ़ चुका है।

फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्ससिल) के महानिदेशक उदय भास्कर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस कमी ने न केवल अमेरिका में भारतीय दवा निर्यात बढ़ाने में मदद की, बल्कि कुल वृद्धि में भी योगदान दिया है। उन्होंने कहा ‘हमने 15.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 8.72 अरब डॉलर का निर्यात किया। भारत से कुल फार्मा निर्यात 9.6 प्रतिशत तक बढ़कर 27.8 अरब डॉलर हो गया।’

इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च (इंड-रा) के विश्लेषकों का मानना है कि इससे न केवल वॉल्यूम वृद्धि की संभावना उपलब्ध होगी बल्कि अगले 12 से 18 महीने में कीमतों में गिरावट को एक अंक तक सीमित किया जा सकेगा, जिससे रिटर्न में सुधार होगा।

इंड-रा के निदेशक (कॉर्पोरेट रेटिंग्स) विवेक जैन ने कहा कि अमेरिकी जेनेरिक बाजार में कीमतों में यह गिरावट निकट भविष्य में एक अंक में रहने की उम्मीद है। इसकी मुख्य वजह दवा किल्लत है। कच्चे माल की कम लागत और मूल्य निर्धारण में स्थिरता के कारण अमेरिका को आपूर्ति करने वाली भारतीय जेनेरिक कंपनियों का वित्त वर्ष 24 के दौरान दमदार वित्तीय प्रदर्शन देखा गया है।

आईआईएफएल सिक्योरिटीज के सहायक उपाध्यक्ष (शोध और उत्पाद) जयेश भानुशाली ने पिछले महीने कहा था कि निर्यात-केंद्रित भारतीय जेनेरिक कंपनियों को इस स्थिति से लाभ हो सकता है।

उन्होंने कहा ‘हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय जेनेरिक कंपनियों में अरबिंदो फार्मा, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज और ग्लैंड फार्मा का अमेरिका में कमी वाले उत्पादों में सबसे ज्यादा निवेश है।’ आईआईएफएल ने कहा कि अरबिंदो की अमेरिका की इंजेक्शन बिक्री (जेनेरिक और ब्रांडेड) का उसकी अमेरिकी बिक्री में 25 से 26 प्रतिशत हिस्सा और उसकी कुल बिक्री में 12 से 13 प्रतिशत का हिस्सा रहता है।

First Published : May 28, 2024 | 11:00 PM IST