अमेरिका में मौजूदा आर्थिक मंदी से उम्मीद है कि इससे सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाओं के खरीदार लागत को कम करने के चलते भारत और अन्य देशों की ओर रुख करेंगे।
सूचना प्रौद्योगिकी अनुसंधान कंपनी गार्टनर की एक रिर्पाट के अनुसार मंदी के मद्देनजर आईटी सेवाओं के खरीदार विदेशों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के बारे में सोचेंगे, जिन देशों में लागत में कमी की जा सके, जैसे कि भारत।
आई सेवाओं के खरीदारों पर लागत पर नियंत्रण रखने का भारी दबाव है, जिसके चलते वे लागत में कमी और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए दूसरे देशों की ओर ताक रहे हैं। इससे भारत से प्राथमिक्ता के तौर पर और दूसरे देशों से भी सेवाओं लेने और उनके विस्तार की संभावना बढ़ती जाती है।
गार्टनर के अनुसंधान निदेशक, टी जे सिंह का कहना है, ‘दूसरे देशों के मुकाबले भारत को प्राथमिक्ता मिलने के पीछे उसका स्तर और श्रमिकों की गुणवत्ता महत्वपूर्ण कारण हैं। आईटी सेवाओं के उत्तरी अमेरिकी और यूरोपीय खरीदारों दूसरे देशों में सेवाएं लेने के लिए दबाव बने हुए हैं और खरीदारों के लिए दूसरे देशों को सेवाएं देने लिए भारत बातचीत का केन्द्र बिंदु बना हुआ है।
चाहे देश केन्द्रित सेवा मुहैया करवाने वाली कंपनियां हों, जिनकी दूर तक पहुंच का असर आईटी सेवा क्षेत्र पर हो या वैश्विक ग्राहक केन्द्र की सहायता के लिए विकास करते हुए आईटी श्रमिकों को प्रशिक्षित करने की बात, भारत निकट भविष्य में दूसरे देशों को आईटी सेवाएं देने के लिए सबसे बेहतरीन देश बना रहेगा।’
गार्टनर रिपोर्ट अगले कुछ महीनों में दो मुमकिन स्थितियों को देख रही है, जिनका असर दूसरे देशों से सेवाएं लेने पर पड़ सकता है। पहली कुछ समय के लिए आर्थिक गिरावट (बढ़िया स्थिति) और दूसरी अधिक समय के लिए निरंतर मंदी का दौर (सबसे खराब स्थिति)।
गार्टनर के उपाध्यक्ष और जाने-माने विश्लेषक एली यंग के अनुसार, ‘बेहतर स्थिति में खरीदार जिन्होंने पहले दूसरे देशों से सेवाएं नहीं लीं, अब वैश्विक आपूर्ति मॉडल (जीडीएम) को इस्तेमाल करते हुए सेवाओं के लिए अपनी सोच बदल लेंगे। खरीदार बाहरी सेवा प्रदाताओं (ईएसपी) के साथ लागत में कटौती को देखते हुए काफी उत्साहित हैं और उन्हें तुरंत बचत भी दिखाई दे रही है।’