एशियाई देशों में गेम उद्योग से आमदनी करने में भारत हो सकता है जल्द ही बाजी मार ले जाए।
2007 में भारत को इस उद्योग से लगभग 342.64 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है और गार्टनर रिपोर्ट का अनुमान है कि 2012 तक यह आंकड़ा बढ़कर 1900 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि एशियाप्रशांत क्षेत्र (जापान सहित) मोबाइल गेम के लिए सबसे बड़े बाजार बनने की राह पर है, जिसमें 2008 में ही उपभोक्ता इस पर लगभग 9,851 करोड़ रुपये खर्च करेंगे और यह 2011 तक बढ़कर लगभग 14,562 करोड़ रुपये का हो जाएगा।
पर्सनल कंप्यूटर और कंसोल गेम के बाजार से अलग मोबाइल गेम का बाजार एशिया में एक बड़े क्षेत्र में रूप में उभर कर सामने आ रहा है, जिसकी बड़ी वजह कंप्यूटरों के मुकाबले मोबाइल फोन की अधिक खरीद होना है। बेशक इस बाजार में काफी संभावनाएं हैं, बावजूद इसके वैल्यू एडेड मनोरंजन सेवाओं जैसे कि संगीत और अन्य सामग्री से अभी गेम से होने वाली कमाई काफी पीछे चल रही है।
गार्टनर के वरिष्ठ विश्लेषक मधुसूदन गुप्ता का कहना है, ‘उभरते हुए बाजारों मे ऑपरेटरों को मोबाइल गेम की मांग और कंप्यूटर की इन क्षेत्रों में कम कारोबार के चलते मोबाइल गेम की बिक्री को होने वाले फायदे और महंगे पीसी और कंसोल गेमों के सस्ते विकल्प मोबाइल फोन का फायदा उठाना चाहिए।’
दूसरी तरफ गार्टनर रिपोर्ट 2008 में दुनियाभर में मोबाइल गेम से हुई 18,273.5 करोड़ रुपये की आमदनी की ओर इशारा करती है, जो पिछले वर्ष 2007 में 16,703.7 करोड़ रुपये के मुकाबले 16.1 प्रतिशत बढी है। गार्टनर का अनुमान है कि मोबाइल गेम से होने वाली आमदनी 2007 से 2011 के बीच 10.2 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृध्दि विकास दर का दौर देख पाएगी, जिसमें उपभोक्ता व्यय 2011 में लगभग 26,282.9 करोड़ रुपये हो सकता है।