इक्रा समूह के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी रामनाथ कृष्णन ने अभिजित लेले को बताया कि भारतीय कंपनी जगत की वित्तीय सेहत मजबूत रहने के उम्मीद के बावजूद कॉरपोरेट जगत पूंजीगत व्यय करने में हिचक रहा है। अभी भी महंगाई में उतार-चढ़ाव पर्याप्त है और ब्याज दरों में कटौती किए जाने की उम्मीद नहीं है।
निजी क्षेत्र में विशेष रूप से व्यय में अभी भी उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है। लिहाजा कुछ योजनाओं का खाका खींचा जा रहा है और कुछ योजनाओं को टाला भी जा रहा है। कुछ दिनों पहले जेएसडब्ल्यू स्टील ने घोषणा की थी कि वे अपने संयंत्रों के विस्तार की योजना को टाल रहे हैं। हां, संक्षेप में कहा जाए तो खर्च अभी तक दिखाई नहीं दे रहे हैं। शुरुआती दौर में विचार यह था कि लोग लोक सभा चुनाव के परिणामों का इंतजार कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों का मानना था कि नतीजा क्या होगा, यह पहले से तय था। ऐसा हुआ भी, लेकिन गतिविधि में तेजी नहीं आई है।
शहरी खपत बीते पूरे साल में वास्तव में अच्छी रही जबकि ग्रामीण खपत सुस्त थी। हालांकि इस वर्ष, हमारी समग्र मांग में भी अधिक असमानता के कुछ संकेत मिले हैं। पिछले साल, कुल मांग काफी मजबूत थी और लगातार मजबूत होती जा रही थी। इस साल, मई और जुलाई में उपभोक्ता सर्वेक्षणों से पता चलता है कि कुल मांग में भी गिरावट आई है। और कम से कम, सितंबर के दौर में यह फिर से बढ़ गई है, लेकिन यह अभी भी शिखर से नीचे है। हम विभिन्न कंपनियों के शहरी मांग को मापने के तरीके पर गौर कर रहे हैं। फिलहाल पूंजीगत व्यय को लेकर कुछ थोड़ी बहुत झिझक हो सकती है।
हां, आपको मालूम है कि जब हम महंगाई को देखते हैं तो इसमें पर्याप्त उतार-चढ़ाव बना हुआ है। हम मॉनसून के फायदे से वृद्धि और भविष्य की महंगाई दोनों को लेकर आशान्वित हैं। हालांकि महंगाई को लेकर वास्तव में अनिश्चितताएं दूर नहीं हुई हैं। इसके अलावा भू-राजनीति, राजनीति और कई अन्य कारण बने हुए हैं जिनसे जिंसों के दामों पर प्रभाव पड़ता है।