निजी क्षेत्र के दो सबसे बड़े जीवन बीमाकर्ताओं एचडीएफसी लाइफ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस ने अपने बही खाते पर खुदरा सुरक्षा योजनाओं पर जोखिम प्रतिधारण की अपनी सीमा को बढ़ा दिया है। इससे पुनर्बीमा वाले समग्र खुदरा सुरक्षा की बीमित राशि में कमी आई है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस पहले 20 लाख रुपये से ऊपर की खुदरा सुरक्षा पॉलिसियों का पुनर्बीमा करती थी और अब प्रबंधन ने इसमें संशोधन कर इसकी सीमा को 1 करोड़ रुपये कर दिया है वहीं एचडीएफसी लाइन ने इस सीमा को संशोधित कर 20 लाख रुपये से 40 लाख रुपये कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप समग्र खुदरा सुरक्षा की बीमित राशि जिसका पुनर्बीमा होना है वह आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के लिए पहले के 60 से 70 फीसदी से घटकर 50 फीसदी से नीचे आ चुकी है। वहीं एचडीएफसी लाइफ के लिए पुनर्बीमा के लिए प्रतिधारण जोखिम का मिश्रण 20 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी हो गया है।
प्रतिधारण सीमा में इजाफे का मतलब है कि बीमाकर्ता अपने बही खाते पर जोखिम की जितनी रकम को बरकरार रखता है उसे उसने बढ़ा दिया है। इसके ऊपर बीमाकर्ता अतिरिक्त जोखिम को पुनर्बीमाकर्ता के ऊपर डालता है। प्रतिधारण सीमा जितनी अधिक होगी पुनर्बीमा की लागत उतनी ही कम होगी।
जीवन बीमा के लिए आईआरडीएआई में सदस्य रहे नीलेश साठे के मुताबिक जैसे जैसे कंपनियां परिपक्व होती हैं और अपनी वित्तीय स्थिरता तथा मजबूती के कारण अपनी जोखिम को बढ़ाने की स्थिति में पहुंचती हैं वह प्रतिधारण क्षमता को बढ़ाने पर विचार करती हैं और अपने बही खातों पर उच्च जोखिम डालती हैं।
उन्होंने कहा, ‘बीमा कंपनियां अपनी प्रतिधारण सीमा में इजाफा बीमांकन के अपने अनुभव के आधार पर करती हैं। उच्च प्रतिधारण से उनके लाभ में इजाफा हो सकता है लेकिन मौजूदा महामारी की तरह कोई महामारी की नौबत आने पर उन्हें बड़ा नुकसान होने का भी खतरा होता है। लेकिन इसके बावजूद कोई भी पुनर्बीमाकर्ताओं की भूमिका को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकता है जो कि एक बड़ा जोखिम शमन उपकरण है।’