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HP इंडिया का गेम, छोटे-मझोल बिजनेस पर बड़ा दांव

भारत में 33.8 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ एचपी ने वर्ष 2016 से पीसी बाजार में अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा है।

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आर्यमन गुप्ता   
Last Updated- July 03, 2023 | 10:40 PM IST

भारतीय पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) बाजार में नरम मांग और घटते आयात के बीच वैश्विक पीसी विनिर्माता एचपी, जो भारत को अपने सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में मानती है, गेमिंग और क्रिएटर बाजार की मांग के कारण मजबूत वृद्धि देख रही है। भारत में 33.8 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ एचपी ने वर्ष 2016 से पीसी बाजार में अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा है।

इंटरनैशनल डेटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) के आंकड़ों के अनुसार भारत के पीसी बाजार में, जिसमें डेस्कटॉप, नोटबुक और वर्कस्टेशन शामिल हैं, खेप कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली तिमाही के दौरान पिछले साल की तुलना में 30.1 प्रतिशत घटकर 29.9 लाख रह गई।

वाणिज्यिक और उपभोक्ता, दोनों ही क्षेत्रों में आयात में तेज गिरावट नजर आई है। मुख्य रूप से सुस्त मांग, बाजार की नरम धारणा तथा उद्यमों और छोटे एवं मध्य आकार वाले उद्यमों (एसएमई) द्वारा खरीद में कमी या देरी के कारण ऐसा हुआ है। आईडीसी के अनुसार सरकार और शिक्षा ही ऐस क्षेत्र रहे, जिनमें पहली तिमाही के दौरान वृद्धि दिखाई दी।

एचपी इंडिया के वरिष्ठ निदेशक (पर्सनल सिस्टम) विक्रम बेदी स्थानीय बाजार में धीमी मांग से चिंतित नहीं हैं। आंकड़े बताते हैं कि एचपी अपनी प्रतिस्पर्धियों की बाजार हिस्सेदारी में सेंध लगाने में कामयाब रही है। कैलेंडर वर्ष 2022 में डेल और लेनोवो दोनों की ही बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आई है।

बेदी कहते हैं कि वैश्विक स्तर पर भारत एचपी के लिए सबसे अधिक केंद्रित बाजारों में से एक है। कंपनी के रूप में हमने महामारी के दौरान तेजी से विकास किया है। लेकिन पहले की तुलना में हमारे लिए आगे विकास की ज्यादा संभावना है।

उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा कि उपभोक्ताओं के बीच अब भी बहुत सारी ऐसी जरूरतें हैं, जिन्हें पूरा किया जाना बाकी है। हम उस दिशा में काम कर रहे हैं। भारत में पीसी की पैठ की दर दुनिया में सबसे अधिक नहीं है। अब भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

बेदी ने कहा कि वाणिज्यिक क्षेत्र में बाजार की अगुआ रही एचपी देख रही है कि गेमिंग और क्रिएटर बाजार के अलावा सरकारी तथा छोटे और मध्य आकार के कारोबारों (एसएमबी) के सौदे उसके लिए अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। कंपनी इन श्रेणियों पर बड़ा दांव लगा रही है, जिन्हें वह विकास के प्रमुख संचालक कहती हैं। बेदी ने कहा कि अब हम उपभोक्ता और वाणिज्यिक दोनों ही क्षेत्रों के बाजार में अलग नेतृत्व हासिल करने में कामयाब रहे हैं।

हालांकि कुछ सरकारी और शिक्षा क्षेत्र के ऑर्डर से उसके वाणिज्यिक खंड को 34.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल करने में मदद मिली है, लेकिन ऑफलाइन विकल्पों की मजबूत मांग से उसकी उपभोक्ता श्रेणी को मदद मिली है, जहां उसके पास 32.6 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। फिलहाल कंपनी में 10,000 वाणिज्यिक भागीदार हैं।

कंपनी ने ऑफलाइन खुदरा बिक्री में अपनी मौजूदगी बढ़ाइ है। एचपी के पास नवंबर 2015 में 300 एक्सक्लूसिव स्टोर थे। पीसी विनिर्माता द्वारा कोविड-19 के बाद अपना ऑफलाइन खुदरा विस्तार तेज करने के बाद अब इसने इस मामले में 750 का आंकड़ा पार कर लिया है। एक्सक्लूसिव स्टोर के अलावा एचपी की 425 शहरों में 4,000 रिटेल आउटलेट में भी मौजूदगी है।

खेल जारी
उपभोक्ता पक्ष के लिहाज से गेमिंग और क्रिएटर बजार जैसे क्षेत्रों ने एचपी के उत्पादों की मांग को बढ़ाया है। बेदी कहते हैं कि भारतीय बाजार की जनसांख्यिकी काफी हद तक युवाओं से प्रेरित है। फरवरी 2017 में भारत के गेमिंग बाजार में प्रवेश करने वाली एचपी ने कैलेंडर वर्ष 23 की पहली तिमाही तक 47,298 खेप के साथ अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाकर 37.5 प्रतिशत कर ली है।

जून 2021 में कंपनी ने गेमिंग पर आधारित हेडसेट, कीबोर्ड, माउस, माउस पैड, यूनिवर्सल सीरियल बस माइक्रोफोन और कंसोल सहायक उपकरण का उत्पादन बढ़ाने के लिए 42.5 करोड़ डॉलर के सौदे में किंग्स्टन टेक्नोलॉजी कंपनी के गेमिंग अनुभाग हाइपरएक्स का अधिग्रहण पूरा करने की घोषणा की थी।

वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धा
हालांकि कंपनी को उद्यम क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि हाल ही में प्रवेश करने वाली ऐपल जैसी कंपनियां भारत में अपने परिचालन का विस्तार करना चाहती हैं। आईफोन विनिर्माता ने हाल ही में घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) दिग्गज विप्रो के साथ साझेदारी के जरिये वाणिज्यिक बाजार में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया है।

बेदी कहते हैं कि यह उद्योग शुरू से ही प्रतिस्पर्धी रहा है और अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के बावजूद हमारा अलग नेतृत्व है। हमारी रणनीति नहीं बदल रही। हम उद्यम क्षेत्र के ग्राहकों को भलीभांति समझते हैं। उनकी जरूरतें बहुत अलग हैं, चाहे वह सुरक्षा के मामले में हो या प्रबंधन मानकों के मामले में।

First Published : July 3, 2023 | 10:40 PM IST