प्रतीकात्मक तस्वीर
रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी स्टेल्थ लड़ाकू विमान ‘एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए)’ के प्रोटोटाइप निर्माण में निजी और सरकारी रक्षा कंपनियों के पास प्रतिस्पर्धा का समान अवसर होगा। इसके साथ ही लड़ाकू विमानों के निर्माण में सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एकाधिकार का अंत हो सकता है। इससे पहले मंगलवार को ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एएमसीए कार्यक्रम के लिए क्रियान्वयन मॉडल को मंजूरी दी। इसका कार्यान्वयन एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) द्वारा औद्योगिक साझेदारी के माध्यम से किया जाएगा।
क्रियान्वयन मॉडल की मंजूरी को देश की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं में विकास की दिशा में तथा मजबूत वैमानिकी औद्योगिकी तंत्र के विकास में अहम कदम बताते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस क्षेत्र में ‘प्रतिस्पर्धा के आधार पर निजी और सरकारी क्षेत्रों को समान अवसर प्रदान किए जाएंगे।’ निजी और सार्वजनिक रक्षा कारोबारी एएमसीए विकास कार्यक्रम में भागीदारी के लिए स्वतंत्र रूप से बोली लगा सकते हैं। ऐसा संयुक्त उपक्रम के रूप में भी किया जा सकता है और समूह के रूप में भी। मंत्रालय ने कहा कि बोली लगाने वालों का ऐसी भारतीय कंपनी होना आवश्यक है जो देश के कानून एवं नियमों का पालन करती हो।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘यह स्वदेशी विशेषज्ञता, योग्यता और एएमसीए प्रोटोटाइप के विकास की क्षमता का लाभ लेने की दृष्टि से एक अहम कदम है, यह विमानन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम मील का पत्थर होगा।’ उसने यह भी कहा कि एडीए जल्दी ही पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन वाले लड़ाकू विमान के निर्माण के लिए अभिरुचि आशय जारी करेगा। यह विमान हवाई संघर्ष और हवा से जमीन पर वार करने की क्षमताओं से लैस होगा।
रक्षा से जुड़े एक सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि एएमसीए प्रोटोटाइप 2028 के अंत तक अपनी पहली उड़ान भर सकता है।
रक्षा उद्योग के एक अंदरूनी व्यक्ति ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, ‘अब तक एचएएल लड़ाकू विमानों का स्वाभाविक घरेलू निर्माता था। वह इकलौती ऐसी कंपनी थी। अब उसे निजी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निजी कारोबारियों के पास विशिष्ट अवसर उपलब्ध होगा।’ सूत्र ने कहा कि रक्षा क्षेत्र की बड़ी निजी कंपनियां मसलन कल्याणी समूह, लार्सन ऐंड टुब्रो लिमिटेड, टाटा समूह और अदाणी समूह आदि भी इस प्रोटोटाइप के विकास का अनुबंध हासिल करने में रुचि ले सकते हैं।
सूत्र ने कहा, ‘एचएएल और रुचि रखने वाले निजी कारोबारी दोनों एकसाथ भी बोली लगा सकते हैं। वे संयुक्त उपक्रम या समूह के रूप में ऐसा कर सकते हैं। अगर बोली हासिल करने वाला उपक्रम संयुक्त उपक्रम या एचएएल तथा एक या अधिक निजी कंपनी का समूह होता है तो भी निजी क्षेत्र की कंपनी की लड़ाकू विमान के विकास में पहले के अवसरों की तुलना में काफी बड़ी भूमिका होगी।’