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Ship building को लेकर सरकार की बड़ी योजनाएं

वित्त मंत्री ने फरवरी 2025 के बजट में 25,000 करोड़ रुपये के मैरीटाइम फंड की घोषणा की थी।

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ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- May 14, 2025 | 11:39 PM IST

केंद्र सरकार प्रमुख बंदरगाहों पर जहाज निर्माण क्लस्टरों के लिए जारी निविदाओं में प्रवेश संबंधी बाधाओं में कमी कर सकती है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि जहाज निर्माण क्षेत्र की जमीनी हकीकत देखने के बाद व्यवधान में कमी किए जाने की संभावना है।

दीन दयाल पोर्ट अथॉरिटी (डीपीए या कांडला बंदरगाह) ने 2000 एकड़ में शिपबिल्डिंग क्लस्टर बनाने की योजना बनाई है और इस परियोजना के लिए सिर्फ एक बोली मिली। बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय इसे निराशाजनक मानते हुए बदलाव की योजना बना रहा है। गुजरात का दीनदयाल पोर्ट केंद्र सरकार के 12 बंदरगाहों में से एक है।

अधिकारी ने कहा, ‘टेंडर पर फिर से विचार करने और प्रासंगिक बदलावों के बाद इसे फिर से जारी करने की जरूरत होगी, क्योंकि विदेशी जहाज निर्माताओं की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।’ बंदरगाह प्राधिकरण ने अब निविदा रद्द कर दी है।  कई अधिकारियों और उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि टेंडर में हिस्सा लेने के व्यवधान बहुत ज्यादा थे। इसकी वजह से खासकर भारत के नए घरेलू जहाज निर्माता इससे बाहर हो गए।इस टेंडर में शामिल होने के लिए बड़े जहाज बनाने का अनुभव होना जरूरी था। ज्यादातर भारतीय शिपयार्ड्स इस शर्त को पूरी नहीं कर सके।बहुत बड़ा क्रूड कैरियर (वीएलसीसी) सबसे बड़े तेल टैंकरों में से एक है।  इसकी क्षमता 2,00,000 से 3,00,000 डेडवेट टनेज (डीडब्ल्यूटी) होती है। इसमें 20 लाख बैरल से ज्यादा कच्चा तेल ले जाया जा सकता है। भारत के कुछ शिपयार्ड को छोड़ दें तो कोई भी जहाज निर्माता 10,000 डीडब्ल्यूटी क्षमता से ज्यादा का जहाज नहीं बना सकता है।

एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘विदेशी शिपयार्ड को ध्यान में रखते हुए टेंडर की डिजाइन बनाई गई थी। हमने अनुमान लगाया था कि कोरिया या कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय शिपयार्ड दिलचस्पी दिखाएंगे, जिसे देखते हुए टेंडर की शर्तें थीं। मंत्रालय को मिले फीडबैक के मुताबिक वे नए सुधारों का इंतजार कर रहे हैं और अभी भी अपनी कारोबारी योजना का मूल्यांकन कर रहे हैं।’

केंद्र सरकार शिपिंग, जहाज निर्माण, समुद्री वित्त और समुद्री बीमा जैसे क्षेत्रों में घरेलू वाणिज्यिक समुद्री क्षमता बनाना चाहती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में इसके लिए विभिन्न कदमों की घोषणा की थी। साथ ही वित्त मंत्री ने फरवरी 2025 के बजट में 25,000 करोड़ रुपये के मैरीटाइम फंड की घोषणा की थी। इस क्षेत्र के लिए शिपबिल्डिंग सब्सिडी नीति और क्लस्टर विकास की योजना लाई गई है।

सरकार का कहना है कि विश्व के सबसे बड़े गैर चीनी शिपबिल्डरों जैसे एचडी हुंडई हैवी इंडस्ट्रीज और सैमसंग हैवी इंडस्ट्रीज ने शुरुआती दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन उनकी हिस्सेदारी और औपचारिक प्रतिबद्धता बाकी है।

First Published : May 14, 2025 | 10:52 PM IST