बड़े विमानों की मांग से जीई उत्साहित

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:32 PM IST

विमान इंजन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जीई इस बात से काफी उत्साहित दिख रही है कि भारतीय विमानन कंपनियां वाइड बॉडी विमानों के लिए कहीं अधिक ऑर्डर देने के लिए तैयार हैं क्योंकि विमानन उद्योग कोविड-19 के झटके के बाद अब धीरे-धीरे उभरने लगा है। जीई के इंजन फिलहाल एयर इंडिया और विस्तार के विमानों में लगे हैं।
जीई एविएशन के कंट्री हेड विक्रम राय ने कहा, ‘यदि आप करीब 4,000 विमान वाले चीन अथवा अमेरिका जैसे परिपक्व विमानन बाजारों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि वहां वाइड बॉडी वाले विमानों का अनुपात 20 से 25 फीसदी है। उस लिहाज से 700 विमानों के बेड़े के साथ भारत में करीब 140 वाइड बॉडी विमान होने चाहिए। साल 2027 तक हमने 1,000 विमान होने का अनुमान लगाया है जिसमें भारत के पास करीब 150 से 200 वाइड बॉडी विमान होने चाहिए। मेरा मानना है कि भारत में वृद्धि का अगला चरण वाइड बॉडी विमानों का होगा।’ राय ने कहा कि भारतीय हवाई अड्डों पर स्लॉट की कमी भी विमानन कंपनियों का झुकाव वाइड बॉडी विमानों की ओर हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘स्लॉट किल्लत की समस्या से निपटने के लिए विमानन कंपनियों को बड़े विमानों की आवश्यकता होगी।’
आज हर भारतीय विमानन कंपनी जीई अथवा उसके संयुक्त उद्यम सीएफएम का ग्राहक है और करीब 600 विमानों में जीई द्वारा विनिर्मित इंजन का उपयोग किया गया है। भारत की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो ने 2019 और 2021 में कुल 590 ए320 व ए321 विमानों के लिए सीएफएम एलईएपी-1ए इंजन के लिए सौदे पर हस्ताक्षर किए थे।
अमेरिका की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी के लिए वाइड बॉडी विमानों की संख्या में वृद्धि काफी सकारात्मक है क्योंकि वह बोइंग 777, 787 विमानों का उत्पादन करती है।
भारतीय विमानन कंपनियों के बेड़े में मौजूद सभी 45 वाइड बॉडी विमानों में जीई द्वारा विनिर्मित इंजन का उपयोग किया गया है। राय ने कहा, ‘हम सभी विमानन कंपनियों को यह समझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं कि भविष्य वाइड बॉडी विमानों का होगा। मैं समझता हूं कि विमानन कंपनियां जीई को इंजन प्रदाता के तौर पर चुनेंगी।’ उन्होंने कहा कि भारतीय विमानन कंपनियों के बेड़े में उसके इंजन की संख्या बढ़कर 2,000 से अधिक होगी। उन्होंने कहा, ‘अगले पांच वर्षों के दौरान उसमें तीन गुना से अधिक वृद्धि होगी।’
क्या जीई के विमानन कारोबार में वृद्धि होने से कंपनी भारत में कलपुर्जों के विनिर्माण के जरिये स्थानीयकरण को बढ़ावा देगी? राय ने कहा कि यह अंतत: करोबार की मात्रा पर निर्भर करेगा। उन्होंने बताया कि भारत में कंपनी अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण के लिए पहले से ही कई पहल कर रही है।
जीई ने एक आपूर्ति शृंखला नेटवर्क विकसित किया है जो वैश्विक स्तर पर कंपनी के कारोबारी जरूरतों को पूरा करता है।
पुणे में कंपनी का एक मल्टीमोडल कारखाना है जहां जीई9एक्स के लिए इंजन के पुर्जे तैयार होते हैं। टाटा समूह के साथ साझेदारी के जरिये जीई एलईएपी 1ए इंजन के लिए कलपुर्जे का उत्पादन भी करती है।
जीई के बेंगलूरु केंद्र में करीब 1,000 इंजीनियर कार्यरत हैं और वे भविष्य के इंजन पर भी काम कर रहे हैं जिनका वाणिज्यिक उत्पादन 2030 में होने की उम्मीद है।

First Published : March 25, 2022 | 11:06 PM IST