किशोर बियाणी के नेतृत्व वाला फ्यूचर समूह रिलायंस रिटेल के साथ सौदे पर उठे विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। रिलायंस रिटेल के साथ सौदे के बाद फ्यूचर की पुरानी साझेदार एमेजॉन ने मोर्चा खोल दिया है। इस मामले पर सिंगापुर में रविवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में सुनवाई भी हुई, जिसके बाद सौदे पर अस्थायी रोक लगा दी गई। फ्यूचर के उलट एमेजॉन जल्द से जल्द यह आदेश लागू कराना चाहती है।
कर्ज बोझ से पहले से ही परेशान चल रहा फ्चूयर समूह कानूनी विवादों में घिर कर सौदे के क्रियान्वयन में और देरी नहीं करना चाहता है। ऐसे में समूह एमेजॉन के साथ आपसी सहमति से इस मुद्दे को सुलझा चाहता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस बारे में कानून के जानकारों और विशेषज्ञों से बात की तो उन्होंने कहा, ‘एमेजॉन के साथ विवाद में फ्यूचर समूह रिलायंस की मदद से आपसी सहमति से मामला सुलझाने की कोशिश करेगा।मामला जल्दी नहीं सुलझा तो फ्यूचर समूह की परेशानियां बढ़ सकती हैं और रिलायंस के लिए भी यह फायदेमंद नहीं होगा। ऐसे में एमेजॉन के साथ न्यायालय से बाहर मामला सुलझा कर सहमति की शर्तें न्यायायल को सौंपी जा सकती हैं।’
पिछले वर्ष एमेजॉन ने फ्यूचर की गैर-सूचीबद्ध कंपनी फ्यूचर कूपन्स में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए करीब 1,500 करोड़ रुपये निवेश किए थे। इस सौदे के साथ ही एमेजॉन को 3 से 10 वर्षों बाद फ्यूचर रिटेल में भी हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार मिल गया था। फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर कूपन्स की 7.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
सिंगापुर में मध्यस्थता सुनवाई के दौरान एमेजॉन ने कहा कि 2019 में जब सौदा हुआ था तो उस समय तय शर्तों के अनुसार रिलायंस उन कंपनियों में शामिल थी, जिसके साथ फ्यूचर सौदा नहीं कर सकता था। इस शर्त के बावजूद फ्यूचर समूह ने रिलायंस रिटेल के साथ 25,000 करोड़ रुपये का सौदा कर लिया।
कंपनी ने कहा कि उसने सौदा फ्चूयर कूपन्स के साथ किया था, लेकिन इन दोनों सौदों में फ्यूचर रिटेल साझेदार थी।
इधर फ्यूचर रिटेल ने सोमवार को एक बयान में कहा कि वह उस समझौते का हिस्सा नहीं थी, जिसका हवाला देकर एमेजॉन ने कानूनी विवाद खड़ा किया है। फ्यूचर रिटेल ने कहा, ‘फ्यूचर रिटेल और उसके निदेशक मंडल द्वारा उठाए गए कदमों को मध्यस्थता कार्यवाही के जरिये रोका नहीं जा सकता। फ्यूचर रिटेल इस मामले में पक्ष नहीं है।’
आईआईएफएल सिक्योरिटी में शोध प्रमुख अभिमन्यु सोफाट ने कहा कि फ्यूचर और एमेजॉन दोनों के पास अपना पक्ष सही ठहराने के लिए पर्याप्त दलील हैं। मगर अदालती कार्यवाही लंबी खिंच सकती है, जिससे रिलायंस के साथ सौदा पूरा करने में दिक्कत होगी।
इस बीच रिलायंस रिटेल वेंचर्स (आरआरवीएल) ने कहा कि वह फ्यूचर समूह के साथ इस सौदे को तय शर्तों के तहत बिना किसी देर के पूरा करेगी। कंपनी ने कहा, ‘आरआरवीएल मध्यस्थता केंद्र के अंतरिम आदेश से वाकिफ है, लेकिन वह सौदे की तय शर्तों के अनुसार सौदे का क्रियान्वयन जल्द से जल्द करना चाहती है।’ दूसरी तरफ एमेजॉन का रुख देखते हुए इस मामले का जल्द समाधान होता नहीं दिख रहा है।
