फंडिंग में तीन साल से भी ज्यादा वक्त तक गिरावट रहने के बाद देश का स्टार्टअप तंत्र सुधार के संकेत दे रहा है। बाजार अनुसंधान कंपनी ट्रैक्सन के अनुसार साल 2024 में स्टार्टअप फंडिंग में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह पिछले साल की इसी अवधि के 8.88 अरब डॉलर के मुकाबले 9.78 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। निवेशक इस सुधार का श्रेय देश के दमदार शेयर बाजार को दे रहे हैं, जो आईपीओ लाने वाली स्टार्टअप कंपनियों में विश्वास जगा रहा है और निकासी के लचीले अवसर मुहैया करा रहा है।
सूक्ष्म उद्यम पूंजी (वीसी) फंड – अर्थ वेंचर फंड के प्रबंध साझेदार अनिरुद्ध ए दामानी कहते हैं, ‘फंडिंग में कमी का दौर खत्म हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘यह सुधार आंशिक रूप से शेयर बाजार में अधिक मूल्यांकन के कारण आया है जिसने कुछ चतुर निवेशकों को पब्लिक इक्विटी से निजी निवेश की ओर मोड़ दिया है।’
इस साल कई भारतीय स्टार्टअप कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई हैं। जिनमें वर्क स्पेस प्रदाता ऑफिस, बेबी प्रोडक्ट ब्रांड फर्स्टक्राई, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माता ओला इलेक्ट्रिक और हाल में फूड डिलिवरी क्षेत्र की प्रमुख कपंनी स्विगी शामिल हैं।
इस बीच क्विक कॉमर्स क्षेत्र की कंपनी जेप्टो, एडटेक यूनिकॉर्न कंपनी फिजिक्सवाला, वियरेबल्स ब्रांड बोट और फिनटेक क्षेत्र की प्रमुख कंपनी रेजरपे जैसी अन्य कंपनियों ने निकट भविष्य में शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की योजना बनाई है।
साल 2021 में 44.3 अरब डॉलर की रिकॉड रकम जुटाने के बाद यह सुधार हुआ है, जिसके बाद निवेश में गिरावट का दौर आया था। इस मौजूदा उछाल को ज्यादा सतर्क और टिकाऊ माना जा रहा है।
दमानी ने कहा, ‘साल 2021-2022 की तेजी के उलट यह सुधार ज्यादा संतुलित है। अब निवेशक पूंजी की अवसर लागत का ज्यादा सावधानी से आकलन कर रहे हैं जो कड़े मूल्यांकन में जाहिर भी होता है।’
लेट स्टेज वाले दौरों से रकम जुटाने की कवायद को बढ़ावा मिला है क्योंकि निवेशक उन कंपनियों को पैसे देने के मामले में ज्यादा उत्साहित हैं जो निकट भविष्य में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की तैयारी में जुटी हुई हैं।
ट्रैक्सन के आंकड़ों से पता चलता है कि लेट-स्टेज फंडिंग में इस साल पिछले साल के मुकाबले 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और यह बढ़कर 6 अरब डॉलर हो गई। इस बीच सीड-स्टेज फंडिंग में सालाना आधार पर 23 प्रतिशत की गिरावट आई और यह घटकर 84.9 करोड़ रह गई तथा इस साल शुरुआती चरण वाली फंडिंग सालाना आधार पर चार प्रतिशत घटकर 2.6 अरब डॉलर रह गई।