विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस्पात कीमतों में तेजी आने के बाद से टाटा स्टील और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) में अपना निवेश बढ़ाया है। अक्टूबर और दिसंबर के बीच एफपीआई की शेयरधारिता टाटा स्टील में 5.69 प्रतिशत तक और सेल में 0.93 प्रतिशत तक थी, वहीं जेएसपीएल और जेएसडब्ल्यू स्टील में यह 0.72 प्रतिशत तक और 0.03 प्रतिशत तक कम थी। अक्टूबर से मार्च के बीच टाटा स्टील में एफपीआई का निवेश 6.54 फीसदी बढ़ा।
जहां टाटा स्टील में एफपीआई निवेश में भारी इजाफा दर्ज किया गया, वहीं कुल संस्थागत शेयरधारिता में महज 1.33 प्रतिशत तक की वृद्घि हुई। सभी प्रमुख इस्पात कंपनियों ने संस्थागत शेयरधारिता में इजाफा दर्ज किया और जेएसडब्ल्यू स्टील में यह निवेश 0.42 प्रतिशत, जेएसपीएल में 0.99 प्रतिशत और सेल में 0.19 प्रतिशत तक ज्यादा रहा।
इन कंपनियों में निवेश में वृद्घि ऐसे समय में दर्ज की गई जब इस क्षेत्र को जिंस कीमतों में तेजी के दौर से गुजरना पड़ रहा है और इस्पात कीमतें जुलाई 2020 के बाद से बढऩी शुरू हुई हैं, जब देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
इसका असर इस्पात शेयरों में तेजी के तौर पर दिखा और पिछले 6 महीने में बीएसई मेटल सूचकांक 76.74 प्रतिशत तक चढ़ा। प्रमुख इस्पात शेयरों – टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसपीएल और सेल सोमवार को 52 सप्ताह की नई ऊंचाई पर पहुंच गए।
जेएसडब्ल्यू स्टील ने हाल में भूषण पावर ऐंड स्टील का अधिग्रहण पूरा किया है औरवह जून से पहले अतिरिक्त 50 लाख टन क्षमता शुरू करने की संभावना तलाश रही है, जबकि इस्पात कीमतें वर्ष के ऊंचे स्तर पर हैं।
क्रिसिल रिसर्च में निदेशक ईशा चौधरी के अनुसार, चाइना एचआर (हॉट रॉल्ड) एफओबी कीमतें जुलाई 2020 के मुकाबले 60 प्रतिशत से ज्यादा चढ़कर मार्च 2021 में 735 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गईं, घरेलू इस्पात कीमतें भी जुलाई 2020 के मुकाबले मार्च 2021 में 41 प्रतिशत तक बढ़ गईं।
हालांकि इस्पात कीमतों में बड़ी तेजी अक्टूबर के बाद द र्ज की गई जब कीमतें जनवरी में सर्वाधिक ऊंचे स्तरों पर पहुंच चुकी थीं। घरेलू कीमतों में तेजी जनवरी 2021 के बाद नरम रही और इनमें ऐंड-यूजर्स से दबाव की वजह से कमजोरी आई। लेकिन मार्च के मध्य में, कीमतें चढऩी शुरू हो गईं और फ्लैट स्टील श्रेणी की कीमतें अप्रैल में करीब 4,000 रुपये तक बढ़ गईं।
वैश्विक कारकों और घरेलू मांग के अलावा, उत्पादन लागत से भी इस्पात कीमत वृद्घि को सहारा मिला। एनएमडीसी की लौह अयस्क कीमतें (64 प्रतिशत फी फाइंस) जुलाई 2020 के मुकाबले 83 प्रतिशत चढ़कर मार्च 2021 में 4,310 रुपये प्रति टन पर पहुंच गईं।
कीमत वृद्घि के कारणों के बारे में ईशा चौधरी का कहना है, ‘ओडिशा में नीलामियों के बाद खदानों का परिचालन देर से शुरू होने की वजह से किल्लत पैदा हुई। इस्पात मांग में सुधार से लौह अयस्क के लिए मजबूत मांग तथा व्यावसायिक कंपनियों द्वारा कम उत्पादन से भी आपूर्ति किल्लत को बढ़ावा मिला।’
चौधरी का कहना है कि पूर्ववर्ती वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से कीमतों में तेजी उम्मीद के मुकाबले ज्यादा तेज रही है।
घरेलू इस्पात मिलें अभी भी कुल भाव के मुकाबले कम पर परिचालन कर रही हैं जिससे कीमत वृद्घि की संभावना बनी हुई है। हालांकि चौधरी का कहना है, ‘जहां कीमतें वित्त वर्ष 2022 की दूवरी तिमाही से नरम पड़ेंगी, लेकिन ये वित्त वर्ष 2022 के लिए सालाना आधार पर ऊंची बनी रहेंगी।’
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चक्रीयता बढ़ेगी और ऊंची कीमतों से अनुमान की तुलना में जल्द ही मांग संबंधित दबाव पैदा होगा।