बीएस बातचीत
चूंकि बाजार नवंबर के शुरू में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तैयार हैं, लेकिन ओल्ड ब्रिज कैपिटल मैनेजमेंट के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी केनेथ एंड्राडे ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि मौजूदा अनिश्चितता के बावजूद निवेशक इक्विटी में निवेश के संदर्भ में दीर्घावधि बुनियादी आधार पर ध्यान देंगे। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम से जुड़ी अनिश्चितता से आप किस तरह से निपटने की योजना बना रहे हैं?
ऐसे हरेक घटनाक्रम में कुछ अनिश्चितता हमेशा से बनी रहती है, जिसका परिणाम अप्रत्याशित हो। यही बात मौजूदा हालात के लिए है। दीर्घावधि में, मुख्य बुनियादी आधार का असर दिखता है। हमने हरेक घटनाक्रम को लेकर इसी तरह का रुख अपनाया है। अमेरिकी चुनाव भी इससे अलग नहीं होगा।
क्या आप वैश्विक केंद्रीय बैंकों से और राहत की उम्मीद कररहे हैं?
यदि हम राहत को प्रमुख कारण के तौर पर देखें तो यह महामारी की वजह से अर्थव्यवस्थाओं को संतुलित करने के लिए थी। इसका कम प्रभाव देखा गया और हम व्यवस्था में पहले से ही यह बड़ी पूंजी देख रहे हैं। हमें अन्य सवाल यह पूछने की जरूरत है कि क्या हालात अभी भी खराब हो रहे हैं। यदि ऐसा नहीं है, तो समान संकट में ज्यादा पूंजी डालना उपयुक्त समाधान नहीं हो सकता। हालांकि मैं और ज्यादा राहत को लेकर अनुमान जताना नहीं चाहूंगा, लेकिन यह उस अनुपात में नहीं होगा जैसा कि पहले देखने को मिला है।
भारतीय नीति निर्माताओं से आप और क्या उपायों की उम्मीद कर रहे हैं?
काफी कुछ हो सकता है। मौजूदा उपाय काफी हद तक ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर केंद्रित हैं, और ग्रामीण इलाकों में लोगों का राष्ट्रीय आबादी में बड़ा योगदान है। हालांकि मध्यावधि में हमें अपनी वित्तीय व्यवस्था पर ध्यान देने और इससे जुड़े जोखिम घटाने की जरूरत होगी। अन्य समस्याओं (सब्सिडी और विद्युत सुधार शामिल) को दूर करने से सरकार की वित्तीय स्थिति पर बड़ा असर दिख सकता है।
भारत की आर्थिक स्थिति का बाजार कीमतों पर कितना असर दिखा है?
वृहद स्तर पर चुनौतियां बरकरार हैं। कमजोर दिख रहा उत्पादन मांग में कमी का कारण है। हमें मंदी से निकलने में लंबा समय लगेगा। मैं नहीं मानता कि मेरे पास इसका जवाब है कि हालात कैसे सुधरेंगे, क्योंकि अलग अलग देश भिन्न भिन्न समाधानों पर जोर दे रहे हैं और एक अवधि के दौरान हालात सामान्य हो जाएंगे। कई कंपनियों ने वृद्घि के लिए अपनी तलाश के संदर्भ में राहत की सांस ली है और वे लागत नियंत्रण और बैलेंस शीट को संतुलित बनाने की कोशिश कर रही हैं। मैं हमेशा से इक्विटी निवेशक रहा हूं और गिरावट पर खरीदारी करना फायदेमंद रहा है।
कौन से क्षेत्र निवेश योग्य बने हुए हैं?
हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े व्यवसायों पर ध्यान दे रहे हैं। काफी वैश्विक वृहद घटनाक्रमों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कुछ श्रेणियों में भारत को लोकप्रिय बनाया है। यदि घरेलू मांग कमजोर रहती है और व्यापार भारतीय कंपनियों के अनुकूल रहा तो इनमें से कुछ अपने सेगमेंट में बड़ी वैश्विक भागीदार होंगी।
बाजार के लिए नकदी स्थिति की स्थिति कैसी रह सकती है?
विदेशी तरलता पर अनुमान लगाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण काम रहा है। भारत इक्विटी में आवंटन के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बना हुआ है। इसलिए, यहां पैसा जाएगा। मौजूदा समय में, महामारी और अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिक्रिया को देखते हुए अन्य देशों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। विदेशी निवेशक भारत में मौजूदा हालात को लेकर थोड़े आशंकित हैं। हालांकि यह अस्थायी है।
मार्च में अवसर गंवाने वाले निवेशकों के लिए आप अब निवेश रणनीति के तौर पर क्या सुझाव दे रहे हैं?
कुछ नामों को छोड़कर शेयरों ने पिछले कुछ वर्षों में ज्यादा शानदार प्रदर्शन नहीं किया है। इनमें से ज्यादातर समय के साथ गिरे हैं और कुछ मामलों में, कीमतें उनके 2017 के ऊंचे स्तरों से भी नीचे आ गईं। हम मांग में सुधार की उम्मीद नहीं देख रहे हैं, लेकिन दक्षताओं से मुनाफा बढ़ेगा। हम क्षेत्रीय दिग्गजों – छोटे और बड़े- पर केंद्रित बने हुए हैं। एकमात्र समस्या मार्च 2020 से तुलना की है और ऊंचे प्रतिफल के लिए समय-सीमा बढ़ाई जा सकती है। मार्च 2020 एक ऐसा समय था जब हालात काफी चुनौतीपूर्ण दिख रहे थे और अब भी ऐसा हो सकता है। यदि परिवेश और अर्थव्यवस्था में सुधार आया तो आप वापस देखना नहीं चाहेंगे और कहेंगे कि मैंने अक्टूबर का मौका गंवा दिया!