कोविड-19 महामारी के कारण शहरी इलाकों में दबाव का सामना कर रही एफएमसीजी कंपनियों की वृद्घि को ग्रामीण भारत से सहारा मिल रहा है। सितंबर में खत्म हुई दूसरी तिमाही में अधिकतर एफएमसीजी कंपनियों के नतीजों में लगभग यही रुझान देखने को मिला। ग्रामीण बाजारों में इन कंपनियों की वृद्घि दर शहरी इलाकों की तुलना में काफी अधिक है।
विश्लेषकों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में अगले तीन से छह महीने में बिक्री में वृद्घि बनी रह सकती है, वहीं शहरी इलाकों में वृद्घि अगले साल की जून तिमाही में पटरी पर सकती है।
एफएमसीजी कंपनियों की 60 से 65 फीसदी बिक्री शहरी इलाकों में होती है और 30 से 35 फीसदी बिक्री ग्रामीण बाजारों में होती है। ऐसे में कंपनियों की बेहतर वृद्घि के लिए शहरी इलाकों से मांग में सुधार होना जरूरी है। इस क्षेत्र से जुड़े विश्लेषकों का कहना है कि शहरी इलाकों में जितना जल्दी सुधार होगा, एफएमसीजी कंपनियों के लिए उतना बेहतर होगा।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘इस साल अच्छे मॉनसून, कुछ राज्यों में अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य, श्रमिकों के अपने गांव लौटने और सरकार की योजनाओं में ग्रामीण इलाकों को प्राथमिकता देने से इस इलाकों में एफएमसीजी कंपनियों को फायदा हुआ है।’ हालांकि उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था खुलने और शहरों में रोजगार की अनिश्चितता कम होने से शहरी इलाकों में मांग सुधरेगी। लेकिन ऐसा अगले वित्त वर्ष में जून तिमाही में हो सकता है।
दौलत कैपिटल के उपाध्यक्ष, शोध सचिन बोबडे ने कहा कि एफएमसीजी कंपनियों को अगले साल शहरी इलाकों में कम आधार का फायदा मिलेगा और मांग में भी तेजी आएगी।
ग्रामीण एफएमसीजी वृद्घि को भी इस साल कम आधार का फायदा मिला है क्योंकि पिछले साल इस इलाके में वृद्घि दर सात साल में सबसे कम थी। ग्रामीण इलाकों में नकदी की कमी, बाढ़ आदि से बिक्री पर असर पड़ता रहा है और इस साल शहरी इलाकों में कोरोनावायरस की वजह से कुछ ऐसा ही असर दिख रहा है। शहरी इलाकों में सबसे ज्यादा असर गैर-जरूरी चीजों की बिक्री पर पड़ा है। हालांकि कंपनियों का कहना है कि अर्थव्यवस्था का परिदृश्य बेहतर होने से आने वाले महीनों में स्थितियों में सुधार आएगी।
पिछले हफ्ते तिमाही नतीजों की घोषणा करते हुए हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा था, ‘फिलहाल शहरी इलाकों में थोड़ी अनिश्चितता दिख रही है। बाजार की वृद्घि का अनुमान लगाना कठिन है लेकिन हमें इसमें सुधार होने की उम्मीद है।’
नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने कहा, ‘ग्रामीण और शहरी इलाकों में वृद्घि का अंतर कम हो गया है लेकिन आने वाले समय में शहरी केंद्रों में स्थिति अपेक्षाकृत सामान्य होती दिख रही है।’ बाजार पर शोध करने वाली एजेंसी नीलसन का कहना है कि कोविड वायरस के उपचार की दवा मिलने से शहरी इलाकों में बिक्री का परिदृश्य बेहतर होगा। सरकार ने संकेत दिए हैं कि 2021 की पहली तिमाही में वायरस का टीका देश में उपलब्ध हो जाएगा। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसमें थोड़ा और वक्त लगेगा।
फिलहाल कंपनियों ग्रामीण इलाकों पर कम वजन और दाम वाले पैकेट पर जोर दे रही हैं। इसके साथ ही ग्रामीण वितरण नेटवर्क का भी विस्तार करने में लगी हैं।
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि उनकी कंपनी ग्रामीण इलाकों में पैठ बढ़ाने के लिए अपने सभी ब्रांड के उत्पादों के लिए 5 रुपये के पैकेट लाने की संभावना तलाश रही है।
