एफएमसीजी सेक्टर की कंपनियों को इस बार भी कम मुनाफे पर ही संतोष करना पड़ सकता है।
दरअसल, ये कंपनियां उम्मीद लगाए बैठी थीं कि जिंसों और कच्चे तेल की कम कीमतों की वजह से उनका मुनाफा बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में पहले के मुकाबले बढ़ सकता है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, डाबर, इमामी और मैरिको जैसी एफएमसीजी कंपनियों को इस तिमाही में बेहतर नतीजों की उम्मीद थी। दरअसल, कई जिंसों की कीमत में भारी गिरावट देखने को मिली है।
मिसाल के तौर पर पाम ऑयल की कीमतें अपने शिखर से 40 फीसदी तक नीचे आ चुकी हैं। इसी तरह कच्चे तेल की कीमतें भी 147 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से 65 फीसदी तक गिर गई थीं। वैसे, पिछले 10 कारोबारी सत्रों में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा देखने को मिला है, लेकिन इसका असर एफएमसीजी कंपनियों पर कम से कम पिछली तिमाही में तो नहीं ही पड़ा है।
विश्लेषकों की मानें तो कंपनियों के पास पहले ही मौजूदा महीने के लिए कम कीमतों पर अच्छा-खासा स्टॉक है। हालांकि, मुनाफे पर चोट की असल वजह कमजोर रुपया, कम कीमत और तेजी से कम होती महंगाई की दर का मिला-जुला असर रहा है। इन तीनों कारणों की वजह से जरूरी कच्चे माल की कीमतें तो कम नहीं हुईं, लेकिन कंपनियां अपने उत्पाद की कीमतों में इजाफा नहीं कर पाईं।
वे 2वेल्थ सिक्योरिटीज की वरिष्ठ शोध विश्लेषक निशा हारचेकर का कहना है कि कमजोर रुपये ने कच्चे माल की गिरती कीमतों के फायदे को सीमित कर दिया। गोदरेज समूह के अध्यक्ष आदि गोदरेज के मुताबिक, मजबूत डॉलर मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। बीती तिमाही में रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 32 फीसदी टूट चुका है। एक डॉलर की कीमत चढ़कर करीब 52 रुपये हो चुकी है।
कच्चे माल और पैकेजिंग की कुल लागत का 30 फीसदी हिस्सा सीधे तौर पर कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ा होता है। ऐसे में इमामी के निदेशक आदित्य अग्रवाल का कहना है कि, ‘अगर हम कच्चे तेल की गिरती कीमत और डॉलर की चढ़ती कीमत को देखें, तो कच्चे तेल की गिरती कीमत ज्यादा फायदेमंद नजर आती है।
हालांकि, मजबूत डॉलर की वजह से कच्चे तेल की कीमत में गिरावट का पूरा फायदा हम नहीं उठा पा रहे हैं। दरअसल, आज हमारे आयात बिल का मूल्य 50 रुपये की कीमत पर चल रहे डॉलर के आधार पर तय होता है, जबकि साल भर पहले डॉलर सिर्फ 40 रुपये में मिल रहा था।’ पिछले एक साल में एफएमसीजी कंपनियां 18 फीसदी के हिसाब से तरक्की करती आई हैं।
एंजेल ब्रोकिंग के एफएमसीजी विश्लेषक आनंद शाह बताते हैं कि, ‘महंगाई की दर के लगातर गिरने की वजह से कंपनियां अपने उत्पादों की कीमतें में इजाफा नहीं कर पा रही हैं। हालांकि, इस पूरे सेक्टर में उत्पादों की कीमतों में ज्यादा इजाफा नहीं हो पाया है, इसलिए मुनाफे में इजाफे की उम्मीद भी कम ही है।’
सरकार ने राहत पैकेज में इस सेक्टर के लिए उत्पाद कर में चार फीसदी की छूट का ऐलान किया था। हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियां इस छूट का फायदा पहले ही उपभोक्ताओं को पहुंचा चुकी हैं।
