वित्त मंत्रालय ने एयरटेल के 41,000 करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये को इक्विटी में बदलने के प्रस्ताव में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘वे हमारे पास आए थे, लेकिन हमने उनसे अपने एजीआर बकाये पर कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा है।‘
वोडाफोन के मामले में स्पेक्ट्रम बकाये को इक्विटी में बदल दिया गया था। अगर एयरटेल के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तो इस दूरसंचार कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 2 से 4 फीसदी हो जाएगी। इस बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय और एयरटेल को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला।
इससे पहले सरकार ने वोडाफोन आइडिया को राहत देते हुए उसके 53,000 करोड़ रुपये के एजीआर बकाये को इक्विटी में बदल दिया था। सरकार ने हाल में 36,950 करोड़ रुपये के बकाये को इक्विटी में बदलकर वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी 22.6 फीसदी से बढ़ाकर 48.99 फीसदी कर ली है।
भारती एयरटेल के वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने इस महीने के आरंभ में कहा था कि कंपनी ने अपने एजीआर बकाये को इक्विटी में बदलने के लिए सरकार के पास आवेदन किया है जिसका मतलब सभी उपलब्ध विकल्पों पर स्पष्टता हासिल करना है। उन्होंने कहा, ‘हम बकाये को इक्विटी में बदलने के विकल्प के मामले में बिना किसी भेदभाव के समान अवसर हासिल करना चाहते हैं। हम बकाये को
इक्विटी में बदलना चाहेंगे या नहीं, यह बोर्ड को तय करना है। मगर हम यह विकल्प सुनिश्चित करना चाहते हैं। हम सरकार से स्पष्टीकरण चाहते हैं कि हमें यह विकल्प मिलेगा या नहीं।’ उन्होंने चौथी तिमाही के नतीजे जारी करने के बाद विश्लेषकों से बातचीत में यह बात कही थी।
पिछले महीने एयरटेल के इस प्रस्ताव ने लोगों को अचंभित कर दिया था क्योंकि उसने बकाये के भुगतान के लिए सरकार से मोहलत नहीं ली थी। पिछले महीने कंपनी ने 2024 की नीलामी में खरीदे गए स्पेक्ट्रम के लिए दूरसंचार विभाग को 5,985 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बकाये का भुगतान समय से पहले ही कर दिया था क्योंकि उस पर ब्याज लागत 8.65 फीसदी से अधिक थी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सितंबर 2021 में मंजूर दूरसंचार सुधार पैकेज के तहत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार दूरसंचार कंपनियों के एजीआर बकाये के वार्षिक भुगतान पर चार साल की मोहलत दी थी। पिछली नीलामियों में खरीदे गए स्पेक्ट्रम के लिए बकाये के वार्षिक भुगतान को भी चार साल के लिए टाल दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें उनके लंबे समय से चले आ रहे एजीआर बकाये पर छूट मांगी गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने फरवरी में दूरसंचार ऑपरेटरों की ओर से दायर उन समीक्षा याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था जिनमें 2021 के फैसले को चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने 2021 में दूरसंचार विभाग द्वारा एजीआर बकाये की गणना को बरकरार रखा था।