फेसबुक पर ताकत के बेजा इस्तेमाल को लेकर मुकदमा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 8:22 PM IST

सोशल मीडिया क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनी फेसबुक मुश्किलों में घिर गई है। अमेरिका की सरकार और 48 राज्यों ने फेसबुक के खिलाफ बाजार में एकाधिकार स्थापित करने और छोटे प्रतिस्पद्र्धियों को कुचलने का आरोप लगाया है और इसके खिलाफ मुकदमे दायर कर दिए हैं। संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) और 48 राज्यों के महाधिवक्ताओं ने कंपनी पर मुकदमे की कार्रवाई शुरू कर दी है और सीधा असर इस दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी के शेयरों पर पड़ा है। मुकदमे दायर होने की खबरों के बाद कंपनी के शेयर में तेज
गिरावट देखी गई और यह 3 प्रतिशत फिसल गया। हालांकि बाद में शेयर नुकसान थोड़ा कम कर 1.9 नीचे बंद हुआ।
न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स के नेतृत्व वाले द्विपक्षीय गठबंधन ने आरोप लगाया कि फेसबुक ने अपने एकाधिकार को बनाए रखने के लिए एक सोची-समझी रणनीति अपनाई है। उन्होंने कहा कि इसमें 2012 में करीबी प्रतिद्वंद्वी इंस्टाग्राम और 2014 में मोबाइल मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप का अधिग्रहण शामिल हैं। इस गठबंधन ने यह भी आरोप लगाया कि फेसबुक ने सॉफ्टवेयर डेवलपर्स पर प्रतिस्पद्र्धा रोधी शर्तें भी लगाई हैं।
इस सोशल मीडिया कंपनी के खिलाफ दर्ज शिकायत में कहा गया है कि फेसबुक के इस आचरण से स्वस्थ प्रतिस्पद्र्धा को नुकसान पहुंचा है और उपभोक्ताओं के लिए सोशल नेटवर्किंग के सीमित विकल्प रह गए हैं। शिकायत के अनुसार बाजार में चारों तरफ फेसबुक का दबदबा बढऩे से विज्ञापनदाता भी उचित दरों पर विज्ञापन देने के लाभ से वंचित हो गए। फेसबुक की उपाध्यक्ष और जनरल काउंसल जेनिफर न्यूस्टेड इस मुकदमे का विरोध किया और कहा कि इससे इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी सरकार स्वयं विलय प्रकिया की समीक्षा कर रही है और इस मुकदमे के बाद इसे लेकर संदेह और अनिश्तिचता का वातावरण पैदा हो गया है। यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि क्या अधिग्रहण करने वाली कंपनी कानूनी प्रक्रियाओं के नतीजों पर निर्भर रह सकती है।’
फेसबुक के खिलाफ दायर मुकदमे के बाद सोशल मीडिया जगत में कंपनी के विशाल साम्राज्य का अंत हो सकता है। मामले ने गंभीर रूप ले लिया तो इंस्ट्राग्राम और व्हाट्सऐप फेसबुक से अलग किए जा सकते हैं और फेसबुक को सॉफ्टवेयर डेवलपरों पर प्रतिस्पद्र्धा रोधी शर्तें थोपने से रोका जा सकता है। इतना ही नहीं, फेसबुक को भविष्य में किसी विलय या अधिग्रहण से पहले समय रहते नोटिस देकर पूर्व अनुमति प्राप्त करनी पड़ सकती है।
बुधवार को दर्ज मुकदमे के बाद फेसबुक इस बड़ी कानूनी चुनौतियों का सामना करने वाली तकनीकी क्षेत्र की दूसरी कंपनी हो गई है। इससे पहले अमेरिका के न्याय विभाग ने इस वर्ष अक्टूबर में गूगल के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। विभाग ने आरोप लगाया था कि गूगल ने बाजार में अपनी हैसियत का गलत इस्तेमाल कर अपने प्रतिस्पद्र्धियों को नुकसान पहुंचाया था। पहले गूगल और अब फेसबुक के खिलाफ दर्ज मुकदमों से इस बात का भी संदेश जाता है कि बड़ी तकनीकी कंपनियों को उनके व्यवहार के लिए कसौटी पर कसने में ट्रंप प्रशासन और डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिनिधियों में आपसी सहमति है। डेमाक्रेटिक पार्टी के कुल प्रतिनिधियों ने फेसबुक और गूगल दोनों का विभाजन करने की मांग की है।
फेसबुक ने वर्ष 2012 में 1 अरब डॉलर में इंस्ट्राग्राम का अधिग्रहण कर लिया था। इसके बाद 2014 में कंपनी ने 19 अरब डॉलर में मैसेजिंग ऐप्लीकेशन व्हाट्सऐप भी खरीद लिया था। फेसबुक में आंतरिक चर्चा के दौरान इसके मुख्य कार्याािकारी मार्क जुकरबर्ग ने अपने कर्मचारियों से कहा कि मुकदमों से व्यक्तिगत टीम या उसकी भूमिका पर कोई असर नहीं होगा। जुकरबर्ग ने इन मुकदमों के बारे में कहा कि यह लंबी चलने वाली प्रक्रिया है, इसलिए फिलहाल इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है।

First Published : December 10, 2020 | 11:29 PM IST