अकांउटिंग स्टैंडर्ड-11 (लेखा मानक-11) में दो साल की छूट मिलने से कंपनियों को बहुत ज्यादा राहत नहीं मिलने की उम्मीद नहीं है।
वजह यह है कि कंपनियां फॉरेक्स घाटों को सिर्फ कैपिटल अकांउट के तहत ही दिखाकर उस पर छूट हासिल कर सकती हैं। एक साल के भीतर फॉरेक्स से हुए घाटों को अपने प्रॉफिट ऐंड लॉस अकाउंट में विदेशी मुद्रा देनदारियों को राजस्व खाते के तहत ही दिखाना पड़ेगा।
मिसाल के तौर पर जेएसडब्ल्यू स्टील को ही ले लीजिए। उसे पिछले वित्त वर्ष में दिसंबर तक के नौ महीनों में फॉरेक्स विनिमय दरों की वजह से 815 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इस घाटे का 65 फीसदी हिस्सा तो राजस्व घाटे के तहत आता है, जिसे प्रॉफिट ऐंड लॉस अकाउंट में दिखाना पड़ता है।
दरअसल, कंपनी कोयले का आयात करती है, जिसके लिए छह महीनों के भीतर भुगतान करना पड़ता है। कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) शेषगिरी राव का कहना है कि, ‘साल भर की विदेशी मुद्रा देनदारियों के तहत हुए घाटों को फॉरेक्स फ्लकच्यूऐशन रिजर्व अकाउंट में दिखाना जरूरी होता है। अगर फॉरेक्स देनदारियों की अवधि 12 महीनों से ज्यादा हो, तो आप उसे सीधे कैपिटल अकांउट में दिखा सकते हैं।’
वैसे, इससे भारतीय कंपनियों का उत्साह कम नहीं हुआ है। भारतीय कंपनियां इस वक्त एएस-11 में दो साल की छूट मिलने की खुशी में फूले नहीं समा रही हैं। जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर और जेएसडब्ल्यू स्टील जैसी फॉरेक्स में उतार-चढ़ाव से चोट खाई कंपनियां अपने घाटे के एक हिस्से को इससे पूरा करना चाहती हैं। लेकिन उन्हें इसके लिए इन घाटों को सात दिसंबर, 2006 की तारीख से दिखाना पड़ेगा, जब एएस-11 प्रभावी हुआ था।
जीएमआर-इन्फ्रा के सीएफओ ए. सुब्बा राव ने बताया कि कंपनियां फॉरेक्स कारोबार से हुए घाटे को तभी पूरा कर पाएंगी, जब वे 2007-08 में फॉरेक्स से हुए फायदे को उसमें समायोजित करें। इसका पिछले वित्त वर्ष में कंपनी के मुनाफे पर काफी असर पड़ सकता है।
जीएमआर के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीनों में फॉरेक्स में उतार-चढ़ाव की वजह से उसे 130 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अगर इसमें 2007-08 में हुए 18 करोड़ रुपये के मुनाफे को समायोजित कर दें, तो जीएमआर कुल मिलाकर अपने 112 करोड़ रुपये के घाटे को पाट सकती है।
इससे पिछले वित्त वर्ष में कंपनी का मुनाफा काफी बढ़ सकता है। सरकार ने पिछले हफ्ते उस सिफारिश को मंजूर कर लिया था, जिसके तहत एएस-11 को 31 मार्च, 2011 तक टालने की बात थी।
