सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा अनुबंध पर भर्ती कर्मचारी जल्द ही शेयर विकल्प योजना सहित शेयर संबंधित कर्मचारी लाभ योजनाओं के लिए पात्र बन सकते हैं। अब तक ऐसे आवंटन के लिए केवल स्थायी कर्मचारी, निदेशक और कार्याधिकारी ही पात्र थे। इस कदम से देश की स्टार्टअप और तकनीकी कंपनियों को प्रोत्साहन मिलेगा, जो मध्य स्तर पर बहुत से सलाहकारों की नियुक्ति करती हैं।
सूत्रों के मुताबिक बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) मौजूदा शेयर संबंधी कर्मचारी लाभ नियमनों के तहत कर्मचारियों की परिभाषा से ‘स्थायी’ शब्द को हटाकर इसमें बदलाव करने की योजना बना रहा है। नियामक ने इन नियमों में स्वेट इक्विटी नियम को भी शामिल करने पर विचार किया है क्योंकि दोनों नियम एक-दूसरे के दायरे को लांघते हैं और लगभग एकसमान हैं।
सेबी ये कदम अपनी एक विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तावित बदलावों के बाद उठा रहा है। इस समिति ने शेयर आधारित कर्मचारी लाभ के ढांचे और स्वीट इक्विटी के मुद्दे की समीक्षा की है। नियामक विमर्श पत्र के जरिये जनता की राय आमंत्रित करेगा। यह विमर्श-पत्र अगले महीने की शुरुआत में जारी होने के आसार हैं।
उनके मुताबिक कंपनियों को कर्मचारी की परिभाषा की व्याख्या से संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इसमें अनुबंधित कर्मचारियों की पात्रता नहीं दी गई है। इस परिभाषा से अच्छी प्रतिभाओं को जोडऩे का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है।
सेबी के शेयर संबंधी कर्मचारी लाभ उपायों में सूचीबद्ध कंपनियों को अपने कर्मचारियों को शेयर विकल्प एवं शेयर खरीद योजनाओं के जरिये पुरस्कृत करने की मंजूरी दी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम रोजगार के बदलते समीकरणों के मुताबिक होगा। विशेष रूप से यूनिकॉर्न और स्टार्टअप जिस तरह से काम कर रही हैं, उन्हें एक निर्धारित अवधि के लिए कुशल कामगारों की जरूरत होती है। इसकी उन कंपनियों को भी जरूरत है, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि कंपनी में हर कोशिश बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करे।
खेतान ऐंड कंपनी में कार्यकारी निदेशक सुधीर बस्सी ने कहा, ‘यह निश्चित रूप से अच्छा कदम है। इससे कंपनियों को विशेष कौशल वाली प्रतिभाओं को जोडऩे और कर्मचारियों के भीतर स्वामित्व की भावना पैदा करने में मदद मिलेगी, भले ही वे कुछ ही समय कंपनी में रहें। कंपनियों के स्वरूप में बदलाव आ रहा है, इसलिए नए जमाने की उन कंपनियों और स्टार्टअप के लिए ईसॉप्स समेत कर्मचारी लाभ योजनाओं की अहमियत बढ़ी है, जो अच्छी से अच्छी प्रतिभाओं को खुद से जोडऩा चाहती हैं। यह कदम कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए मददगार साबित होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कंपनी से जुड़ा हर व्यक्ति एक की लक्ष्य की दिशा में मेहनत कर रहा है।’
हालांकि प्रवर्तकों और स्वतंत्र निदेशकों को पात्रता से बाहर रखा जाएगा। वे मौजूदा ढांचे में कर्मचारी लाभों के लिए पात्र नहीं हैं। विशेषज्ञों का स्वेट इक्विटी के मामले में कहना है कि यह भी वेतन का हिस्सा है, इसलिए दोनों को एक करने से नियम आसान हो जाएंगे।
आम तौर पर कोई कंपनी अपने कर्मचारियों को स्वेट इक्विटी शेयर छूट या नकदी से इतर अन्य चीज के बदले देती है। हालांकि शेयर विकल्प से इतर स्वेट इक्विटी में तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है।
सूत्र ने कहा, ‘दोनों नियमों को मिलाने के बाद तीन साल के लॉक-इन को हटाया जाएगा क्योंकि इन दोनों को मिलाने का मकसद अनुपालना बोझ को कम करना और कंपनियों के समक्ष आने वाली अड़चनों को दूर करना है।’ सेबी ने नवंबर में सात सदस्यीय विशेषज्ञ समूह बनाया था। इसके चेयरमैन संदीप भगत थे, जो एसऐंडआर एसोसिएट्स में पार्टनर हैं। इस समूह को शेयर आधारित कर्मचारी लाभ की समीक्षा करने और नीतिगत बदलावों पर सुझाव देने का जिम्मा सौंपा गया था।