कर्मचारी दे रहे काम पर सेहत को तरजीह

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:06 PM IST

महामारी से पहले के दौर की तुलना में अब भारत में, प्रत्येक तीन कर्मचारी में से दो कर्मचारी बेहतर काम के मुकाबले सेहत को प्राथमिकता दे रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट के वर्क ट्रेंड इंडेक्स में इसका खुलासा हुआ है। शुक्रवार को इंडेक्स रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें कहा गया, ‘एक बात स्पष्ट है कि हम सभी अब उस स्थिति में नहीं हैं जब हम 2020 की शुरुआत में काम से घर वापस लौटते थे। पिछले दो सालों के सामूहिक अनुभव ने भी एक छाप छोड़ी है और इसकी वजह से हमारी जिंदगी में काम की क्या भूमिका है उसकी परिभाषा में भी बुनियादी बदलाव देखा गया।’
पहले दफ्तर में मुफ्त खाने या कॉर्नर ऑफिस का लुत्फ कर्मचारी लेते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। नई पीढ़ी और मिलेनियल्स इसको लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं और अन्य पीढ़ी की उम्मीदें भी इससे कम नहीं हैं कि कंपनियों को कर्मचारी की उम्मीदों को पूरा करना चाहिए।
माइक्रोसॉफ्ट वर्क ट्रेंड इंडेक्स के नतीजे 31 देशों में 31,000 लोगों के सर्वेक्षण पर आधारित हैं। इसमें यह अंदाजा मिला कि भारत में 70 फीसदी जेड पीढ़ी या मिलेनियल्स इस साल नौकरी बदल सकते हैं और नौकरी बदलने की दर पिछले साल के मुकाबले 7 फीसदी अधिक है। 2022 यह वैश्विक स्तर पर 52 फीसदी था।
करीब 41 फीसदी भारतीय कर्मचारियों (वैश्विक औसत 18 फीसदी) का कहना है कि उन्होंने पिछले साल अपनी नौकरी छोड़ दी। डेटा दर्शाते हैं कि नौकरी छोडऩे की दर यहां बरकरार रहेगी। महामारी के अनुभव की वजह से हमारी प्राथमिकताएं, पहचान, दुनिया के बारे में हमारा नजरिया बदला है और साथ ही हमारे लिए या अहम हैं मसलन स्वास्थ्य, परिवार, समय, मकसद या क्या अहम नहीं है उसके बीच का फर्क बढ़ा है। नतीजतन कर्मचारी के लिए क्या अहम है इसके समीकरण में बदलाव आया है मसलन उन्हें काम करके क्या पाना है और वे काम के बदले क्या नहीं देना चाहते हैं।
भारत में करीब 65 फीसदी (2021 के 62 फीसदी से अधिक) कर्मचारी संभवत: इस साल नौकरी छोड़ सकते हैं जबकि इस साल वैश्विक स्तर पर औसतन यह आंकड़ा 43 फीसदी है। तकनीक की वजह से घर और दफ्तर दोनों जगहों से काम करना अहम हो गया है। ऐसे में अब लोग काम की लचीलता के साथ ही सेहत से कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं जिसे कंपनियां भी नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अच्छे नेतृत्वकर्ता ऐसी संस्कृति तैयार करेंगे जो कर्मचारियों की बेहतरी को प्राथमिकता देंगे और काम में लचीलता अपनाएंगे ताकि संगठन दीर्घावधि वृद्धि पर जोर दे।’
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि काम की लचीलता का मतलब हमेशा काम में जुटे रहना नहीं है। भारत में करीब 49 फीसदी कर्मचारी मेटावर्स के डिजिटल स्पेस का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं। माइक्रोसॉफ्ट 365 में काम की उत्पादकता के रुझान यह दर्शाते हैं कि बैठकें और चैट काफी बढ़ गई हैं और यह आखिरकार 9 से 5 बजे वाले कार्यदिवस में तब्दील होने लगा है। मार्च 2020 के बाद से टीम यूजरों के लिए बैठकों में खर्च किया जाने वाला साप्ताहिक समय 252 फीसदी तक हो गया है और काम के अतिरिक्त घंटे या सप्ताहांत में काम का दायरा क्रमश: बढ़कर 28 फीसदी और 14 फीसदी हो गया है।
दफ्तर से दूर बैठकर काम करने का असर कर्मचारियों के आपस के रिश्ते पर भी पड़ा है। भारत में करीब 63 फीसदी कामगार हाइब्रिड मॉडल में काम कर रहे हैं और इस साल के बाद संभव है कि वे पूरी तरह से रिमोट मोड में काम करने लगें। भारत में करीब एक-तिहाई (32 फीसदी) कारोबारी नेतृत्व ने यह स्वीकार किया है कि हाइब्रिड मोड में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए रिश्ते बनाना एक बड़ी चुनौती है। करीब 73 फीसदी शीर्ष नेतृत्व इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि नए कर्मचारियों को हाइब्रिड मॉडल में पर्याप्त समर्थन नहीं मिलता है।

First Published : April 8, 2022 | 11:18 PM IST