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आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस (ICICI Prudential Life Insurance Company) के महाप्रबंधक (MD) व मुख्य कार्याधिकारी (CEO) एनएस कन्नन ने सुब्रत पांडा और मनोजित साहा को बताया कि कैसे कंपनी ने अपने निर्धारित लक्ष्यों से कहीं अधिक हासिल किया। कन्नन जून में सेवानिवृत्त होंगे। उन्होंने बीमा उद्योग में नियामकीय बदलावों के प्रभाव के बारे में भी जानकारी दी।
वित्त वर्ष 19 से नए कारोबार के मूल्य (वीएनबी) में दो गुना बढ़ोतरी हुई और मार्जिन भी तकरीबन दो गुना हो गया है। लिहाजा आपने जो मुकाम हासिल किया है, क्या उस पर कहेंगे और क्या आपका लक्ष्य था?
वीएनबी दोगुना से अधिक बढ़ चुका है और मार्जिन भी 17 फीसदी से बढ़कर 32 फीसदी हो गया है। लिहाजा मैं कह सकता हूं कि हमने जो बाजार से कहा था, उससे अधिक हासिल कर लिया है। हमने जो कहा था, उसे हासिल किया है। मैं वीएनबी के मूर्त मूल्य पर ध्यान केंद्रित करूंगा और कैसे कारोबार आगे बढ़ाया। इसीलिए हम अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विविधीकरण हासिल कर पाए हैं। हमारा उत्पाद पोर्टफोलियो पहले 80 फीसदी यूनिट लिंक्ड पॉलिसियों की ओर था। लेकिन अब हमारे विविधिकृत मिश्रित उत्पाद हैं। इनमें 40 फीसदी यूलिप, 30 फीसदी नॉन लिंक्ड बचत उत्पाद, 20 फीसदी प्रोटेक्शन और10 फीसदी एन्युटी और अन्य कारोबार में है। इससे हमें जबरदस्त बढ़ोतरी करने के लिए अच्छा आधार मिलता है। जहां तक चैनल का सवाल है, हमारे साथ 39 बैंक जुड़े हैं और हमारे कारोबार में बैंक से बीमा बेचने की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी, एजेंसी की हिस्सेदारी 26 फीसदी, प्रत्यक्ष कारोबार की हिस्सेदारी 15 फीसदी और अन्य पार्टनर 12-13 फीसदी हैं। पहले ICICI Bank के डिस्ट्रिब्यूशन की हिस्सेदारी 55 फीसदी थी और अब यह गिरकर 14 फीसदी आ गई है। यह विविधीकरण संतोषजनक है।
क्या आप कंपनी की टॉप लाइन वृद्धि से संतुष्ट हैं?
हमने महामारी का दौर देखा। इस दौर में खुदरा प्रोटेक्शन को नुकसान पहुंचा। बीते साल (वित्त वर्ष 22) में टॉप लाइन (बिक्री) 20 फीसदी बढ़ी जो बुरा नहीं है। वित्त वर्ष 23 में टॉप लाइन बढ़ोतरी 12 फीसदी थी। इसे देखने का दूसरा नजरिया यह है कि आईसीआईसीआई बैंक की प्राथमिकताएं क्या हैं। आईसीआईसीआई बैंक ने बैंकिंग उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया है। उनके वितरण की हिस्सेदारी 55 फीसदी से गिरकर 14 फीसदी आ गई है। गैर आईसीआईसीआई बैंक चैनल में जीएजीआर 18 फीसदी रहा है। हालांकि भविष्य में मार्जिन केवल वीएनबी के विकास से ही तय नहीं होगा बल्कि यह टॉप लाइन से भी तय होगा। अभी वार्षिक प्रीमियम समतुल्य (एनुअलाइज्ड प्रीमियम इक्वालेंट – एपीई) पर काफी चर्चा हुई है और हमारा अस्तित्व का उद्देश्य सुरक्षा है। ग्राहक के नजरिये से बीमित राशि मायने नहीं रखती है। हम सम एश्योरड में करीब 35 फीसदी पहुंच गए हैं।
आपके प्रतिद्वंद्वियों की बाजार हिस्सेदारी बढ़ी है जबकि आपका बाजार हिस्सेदारी स्थिर रही….
अंत में वीएनबी की बढ़ोतरी मायने रखती है। हम बाजार हिस्सेदारी से परे बीएनबी की बढ़ोतरी को हासिल कर चुके हैं। यदि हम बीमा राशि के संदर्भ में बाजार हिस्सेदारी की बात करते हैं तो हमने बाजार हिस्सेदारी में बढ़त हासिल की है और यह करीब 15 फीसदी है। हालांकि बीमा राशि के मायने में हम मार्केट लीडर हैं। दूसरा, हमारे साझेदार को प्राथमिकताओं को समायोजित करते हैं तो इसका प्रभाव महसूस होगा।
आईआरडीएआई ने बीमा कंपनियों के लिए चरणबद्द्ध विकासके लक्ष्य तक किए हैं…
नियामक के अनुसार भारत की स्वतंत्रता के 100 वें साल 2047 में सभी के लिए बीमा हो। लिहाजा इसके लिए वृद्धि और विकास होना चाहिए। उन्होंने हरेक कंपनी के लिए दो स्तर तय किए हैं। इसमें कंपनियों को राज्य सरकारों के साथ समन्वय करना होगा और अपना दायरा बढ़ाना होगा। वे बीमा वाहक और बीमा विस्तार की भी बात कर रहे हैं। यदि इन सभी को मिलाकर देखा जाए तो इसका अंतिम लक्ष्य हर भारतीय तक बीमा पहुंचाना है। मैं इसे निर्देशात्मक मानता हूं और इसमें कोई संख्या तय नहीं की गई है।
क्या आपकी भविष्य की योजनाएं हैं?
मैं कंपनी के साथ जून तक हूं। उत्तराधिकारी प्रबंधन ठीक से किया जाना चाहिए। मैं इसी पर ध्यान केंद्रित करूंगा। मुझे यह सुनिश्चित करना है कि सुगम संक्रमण हो। मैं जून के बाद नहीं रहूंगा। मैं रिटायर हो रहा हूं। मैं कंपनी नहीं छोड़ रहा हूं।
बाजार में अफवाह है कि आप एक बड़े औद्योगिक घराने के स्थापित हो रहे बीमा कारोबार के प्रमुख हो सकते हैं?
हमेशा बाजार में अफवाहें रहती हैं। हालांकि मैं ईमानदारीपूर्वक कह सकता हूं कि मैंने कभी इसके बारे में सोचा नहीं है।