एमवे ऐसी कंपनी है जिसकी महत्वाकांक्षा कभी भी कम नहीं रही। साल 2013 में केरल मेंं कथित धोखाधड़ी के मामले में जमानत मिलने के कुछ हफ्ते बाद एमवे के तत्कालीन प्रबंध निदेशक विलियम स्कॉट पिंकनी ने ऐलान किया था कि अमेरिकी कंपनी का लक्ष्य एक दशक में भारत में 10,000 करोड़ रुपये राजस्व हासिल करने का है। साल 2021 में एमवे के वैश्विक सीईओ मिलिंद पंत ने ऐलान किया कि कंपनी ने भारत को बढ़त व निवेश के लिहाज से तीन अग्रणी बाजारों (अमेरिका व चीन के बाद) में शामिल किया है और अब कंपनी लंबी अवधि में यहां से 20,000 करोड़ रुपये राजस्व हासिल करने का इरादा रखती है।
दुर्भाग्य से डायरेक्ट सेलिंग कंपनी की वास्तविकता धरातल पर काफी कमजोर रही है। एमवे का मौजूदा राजस्व 2,000 करोड़ रुपये है, जो पिंकनी की परिकल्पना का पांचवां हिस्सा भर है। इसके अतिरिक्त डायरेक्ट सेलिंग मॉडल को लेकर आकर्षण घट रहा है और कंपनी लगातार कानूनी एजेंसियों के साथ संकट में है।
सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय ने एमवे की 758 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में जब्त की। कंपनी पर मल्टी लेवल मार्केटिंग नेटवर्क की आड़ में कथित तौर पर पिरामिड स्कीम के परिचालन का आरोप है। एमवे के प्रवक्ता ने हालांकि कहा, हमारे खिलाफ की गई कार्रवाई साल 2011 के मामले से जुड़ी है और कंपनी ईडी के साथ सहयोग कर रही है और सभी सूचनाएं साझा की है।
एमवे जैसी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को पिछले साल बड़ी जीत हासिल हुई जब सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (डायरेक्ट सेलिंग) बनाया। डायरेक्ट सेलर्स इस अधिनियम पर जोर देते रहे हैं और यह मनी सर्कुलेशन स्कीम को प्रमोट करने वाली कंपनी व डायरेक्ट सेलर्स के बीच विभेद करता है। मनी सर्कुलेशन स्कीम पर पाबंदी है जबकि डायरेक्ट सेलर्स को परिचालन की अनुमति मिली हुई है।
एमवे कई बार जांच के घेरे में रही है। साल 2013 में पिंकनी को अपराध शाखा की इकनॉमिक ऑफेंस विंग ने धोखाधड़ी के आरोप में कोझीकोड मेंं गिरफ्तार किया था। कंपनी के गोदाम पर भी उस वक्त छापा पड़ा था। एक साल बाद एमडी को दोबारा गिरफ्तार किया गया और इस बार गुडग़ांव में कुर्नुल (आंध्र प्रदेश) के मामले में उन्हें पकड़ा गया था और दो माह बाद उन्हें जमानत मिली। एमवे के दिग्गज पिंकनी ने बाद में कंपनी और फिर भारत को अलविदा कर दिया।
एमवे ने हालांकि भारत में गंभीरता से निवेश किया है। दक्षिण भारत के संयंत्र में उसने 600 करोड़ रुपये झोंके हैं, जहां उसकी तरफ से बेचे जाने वाले उत्पादों का 70 फीसदी बनता है। वह अगले दो-तीन साल में भारत में और शोध व विकास केंद्र स्थापित करने पर 170 करोड़ रुपये और लगा रही है।
ऑनलाइन शॉपिंग के ट्रेंड को देखते हुए कंपनी ने भी कदम उठाया। आज उसके 70 फीसदी उत्पाद ऑनलाइन बेचे जाते हैं जबकि दो साल पहले यह आंकड़ा 30 फीसदी का था। आयुर्वेद व हर्बल उत्पादों की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश में कंपनी ने ऐसे कई उत्पाद उतारे हैं और अन्य एफएमसीजी के उत्पादों के वितरण के लिए उन कंपनियों के साथ गठजोड़ पर भी विचार कर र ही है, जैसा कि उसने आईटीसी के साथ किया है। लेकिन उसकी महत्वाकांक्षा पूरी क्यों नहीं हो पा रही है? खुदरा क्षेत्र की कंसल्टेंसी फर्म टेक्नोपाक के चेयरमैन अरविंद सिंघल ने कहा, उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्ता व ब्रांड अहम होते हैं।