डीएचएफएल के ऋणदाताओं ने आज चार बोलीदाताओं से दिवालिया आवास वित्त कंपनी के लिए अपनी पेशकशों को बेहतर बनाने को कहा। इन चार बोलीदाताओं – ओकट्री, पीरामल, अदाणी और एससी लॉवी द्वारा आज ऋणदाताओं के समक्ष अपनी बोलियां सौंपने के बाद उन्हें अपनी पेशकशों में बदलाव लाने को कहा गया। कुछ बैंकों का मानना था कि ऋणदाताओं को डीएचएफएल के बहीखाते खरीदने चाहिए, क्योंकि नई पेशकशें आकर्षक नहीं हैं और सभी बोलियां ठुकरा दी जानी चाहिए।
डीएचएफएल में 88,000 करोड़ रुपये के निवेश से जुड़े भारतीय ऋणदाता नई बोलियों को लेकर खुश नहीं हैं क्योंकि इनमें से कई बोलीदाता अपनी पेशकशों में 12,000 करोड़ रुपये जोड़े हैं। जहां ओकट्री ने पूरी कंपनी के लिए बोली लगाई है, वहीं पीरामल ने रिटेल बुक के लिए पेशकश की है। अदाणी समूह की बोली निर्माण वित्त/एसआरए (स्लम डेवलपमेंट अथॉरिटी) के बहीखातों के लिए है। एससी लॉवी ने सिर्फ निर्माण वित्त पोर्टफोलियो के लिए बोली लगाई है।
एक बैंकिंग अधिकारी ने कहा कि ये बोलियां काफी कम वसूली वैल्यू की पेशकश कर रही हैं, जो डीएचएफएल के विभिन्न बहीखातों के लिए 75 करोड़ रुपये से लेकर सर्वाधिक 15,800 करोड़ रुपये के बीच हैं और रिकवरी दर 3 से 16 प्रतिशत के दायरे में होगी। यह अब तक दिवालिया मामलों में दर्ज बकाया की 46 प्रतिशत की रिकवरी से काफी अलग है।
ओकट्री ने ऋणदाताओं को सूचित किया है कि उसने 15,800 करोड़ रुपये में पूरी कंपनी के लिए बोली लगाई है और यह रकम अगले सात वर्षों में चुकाई जाएगी। ओकट्री ने ऋणदाताओं के लिए भी कंपनी को 12,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की पेशकश की है। इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘इसका मतलब होगा कि बैंक अपने बकाया का सिर्फ 16 प्रतिशत ही वसूल पाएंगे।’
पीरामल समूह ने डीएचएफएल के 33,000 करोड़ रुपये के रिटेल पोर्टफोलियो के लिए सिर्फ 6,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है और 12,000 करोड़ रुपये में से 9,000 करोड़ रुपये कंपनी के लिए उपलब्ध होंगे। पीरामल की पेशकश की वजह से ऋणदाताओं के लिए सिर्फ करीब 6 प्रतिशत की रिकवरी में मदद मिलेगी।
अदाणी गु्रप ने डीएचएफएल के थोक एवं स्लम डेवलपमेंट अथॉरिटी (एसआरए) परिसंपत्ति पोर्टफोलियो के लिए 2,250 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। इसमें से 750 करोड़ रुपये का भुगतान एक साल के अंदर किया जाएगा और बकाया 1,500 करोड़ रुपये आठ साल बाद चुकाए जाएंगे।
कंपनी के लिए ये बोलियां ग्रांट थॉर्नटन द्वारा जारी फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट की वजह से नरम थीं। इस ऑडिट रिपोर्ट में डीएचएफएल के बहीखातों में 14,500 करोड़ रुपये की हेरफेर का खुलासा किया गया।
बाद में एनसीएलटी को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि थोक बिक्री बहीखाते में 9,320 करोड़ रुपये, एसआरए बहीखाते में 1,707 करोड़ रुपये और की गड़बड़ी थी, और अन्य 3,000 करोड़ रुपये का गबन रिटेल ऋण बुक में किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ऋणों की वसूली क्षमता शक के दायरे में है।
