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DESH Bill : कैबिनेट सचिव करेंगे हस्तक्षेप, कई मसलों पर राजस्व और वाणिज्य विभाग के बीच मतभेद

Published by
श्रेया नंदी
Last Updated- January 10, 2023 | 9:38 PM IST

डेवलपमेंट ऑफ एंटरप्राइजेज ऐंड सर्विसेस हब (DESH) विधेयक पर वाणिज्य और राजस्व विभाग के बीच बढ़ते मतभेदों को दूर करने के लिए कैबिनेट सचिव हस्तक्षेप कर सकते हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में संशोधन के लिए देश विधेयक लाए जाने का प्रस्ताव है। देश विधेयक से जुड़े कई पहलुओं पर दोनों विभागों के बीच मतभेद उभर आए हैं।

इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्र ने कहा कि मतभेद दूर करने के लिए कई बैठकें हो चुकी हैं मगर राजस्व विभाग वित्तीय ढांचे (प्रस्तावित विधेयक के मसौदे में कर प्रोत्साहनों से संबंधित) से जुड़े कुछ पहलुओं पर अलग राय रखता है। मसौदा वाणिज्य विभाग ने तैयार किया है।

समाधान नहीं निकलने पर कैबिनेट सचिव लेंगे अंतिम निर्णय

सूत्र ने कहा, ‘अगले चरण में वाणिज्य और राजस्व सचिवों के बीच मतभेद दूर करने और समाधान तलाशने के लिए बैठक हो सकती है। अगर इससे भी मामले का समाधान नहीं हुआ तो कैबिनेट सचिव अंतिम निर्णय लेंगे।’ हालांकि तब भी विधेयक को अंतिम रूप देने में देर हो सकती है। सूत्र ने कहा, ‘संसद के बजट सत्र में देश विधेयक प्रस्तुत किए जाने की उम्मीद कम ही है। वित्त मंत्रालय इस समय केंद्रीय बजट तैयार करने में जुटा है, इसलिए फिलहाल देश विधेयक पर उसका ध्यान नहीं है।’

वाणिज्य विभाग ने नया प्रस्तावित SEZ कानून तैयार किया है और पिछले वर्ष जून में इस पर विभिन्न मंत्रालयों की प्रतिक्रिया आमंत्रित की गई थीं। विभाग संसद के मॉनसून सत्र में यह विधेयक पेश करना चाहता था।

मगर वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले राजस्व विभाग ने इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाए थे। रियायती निगमित कर, घरेलू यातायात क्षेत्र के साथ विकास केंद्रों का अधिक संयोजन, सीमा शुल्क टालना और निर्यात बाध्यता की समाप्ति (शुद्ध विदेशी मुद्रा आय की शर्त हटाए जाने से) आदि प्रावधानों पर राजस्व विभाग को आपत्ति है।

राजस्व विभाग की आपत्तियों के बाद वाणिज्च विभाग ने तय की नई शर्त

राजस्व विभाग की आपत्तियों के बाद वाणिज्च विभाग ने नई शर्त तय की, जिसके तहत कंपनियों को उनकी पसंद के अनुसार निवेश, तकनीक विकास, रोजगार सृजन और निर्यात में केवल एक उद्देश्य पूरा करने की छूट दी गई। इससे विकास संकुलों में कंपनियों के समक्ष अनिवार्य निर्यात की शर्त नहीं रह जाएगी और इससे आर्थिक तरक्की को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही प्रस्तावित कानून विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुरूप भी हो जाएगा। मगर राजस्व विभाग अब तक हामी नहीं भर पाया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में देश विधेयक की घोषणा की थी। विधेयक में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने, राजगार सृजित करने, वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था के साथ जुड़ने, विनिर्माण एवं निर्यात में प्रतिस्पर्धी बनने के लिए विकास संकुल स्थापित करने का प्रस्ताव है। इनके अलावा बुनियादी सुविधाएं विकसित करना, शोध एवं विकास सहित अन्य खंडों में निवेश को बढ़ावा देना है। ऐसे संकुलों में मौजूदा सेज इकाइयां भी शामिल होंगी।

First Published : January 10, 2023 | 9:38 PM IST