अगर सब कुछ ठीक रहा तो पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) जल्द ही ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका टीके की आपूर्ति ब्रिटेन में कर सकती है। इस बीच, कंपनी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से आपातकालीन इस्तेमाल का लाइसेंस (ईयूएल) मिला है और अब यह लगभग 67.70 देशों को एस्ट्राजेनेका टीके का निर्यात करेगी जबकि नोवावैक्स टीके (जिसे भी यह तैयार कर रही है) का भी 90 से अधिक देशों में निर्यात किया जाएगा। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका ने एस्ट्राजेनेका टीके के इस्तेमाल को अपने टीकाकरण अभियान के लिए यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह देश में कोरोनावायरस की विशेष किस्म (स्ट्रेन) से बचाव में काम नहीं करता है।
जानकारी रखने वाले एक करीबी सूत्र ने दावा किया कि ब्रिटेन के दवा नियामक कार्यालय की एक टीम ने इस सप्ताह की शुरुआत में ही एक ऑडिट के लिए सीरम इंस्टीट्यूट के पुणे केंद्र का दौरा किया था। उन्होंने कहा, ‘इस दौरे से अंदाजा मिलता है कि सीरम इंस्टीट्यूट ब्रिटेन को एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफ र्ड टीके की आपूर्ति कर सकता है।’ यूरोपीय संघ में एस्ट्राजेनेका को आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ रहा है और सीरम इंस्टीट्यूट से होने वाले निर्यात से मदद मिल सकती है।
यदि दवाएं और स्वास्थ्य उत्पाद नियामक एजेंसी (एमएचआरए) सीरम इंस्टीट्यूट की टीका निर्माण प्रक्रिया को मंजूरी देती है तब टीके का निर्यात ब्रिटेन के अलावा अन्य देशों (जो एमएचआरए की मंजूरी को मान्यता देते हैं) में किए जाने की संभावनाएं तैयार हो सकती हैं। हालांकि एसआईआई ने इस मसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
इस बीच, डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन इस्तेमाल लाइसेंस मिलने की वजह से खुराक के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी एसआईआई द्वारा बनाए गए एस्ट्राजेनेका टीके को महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर पहुंच मिल सकेगी।
आपातकालीन इस्तेमाल का लाइसेंस, टीके की दो खुराक की अनुमति देता है जिसे चार से 12 सप्ताह के अंतराल पर 18 साल और इससे अधिक उम्र के व्यक्ति और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी दिए जाने का प्रावधान है। एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘डब्ल्यूएचओ के टीकाकरण से जुड़े रणनीतिक सलाहकार विशेषज्ञ समूह ने आठ से 12 सप्ताह के अंतराल पर खुराक देने की सिफारिश की है। इसके अलावा उन्होंने उन देशों में टीके के इस्तेमाल की भी सिफ ारिश की जहां दक्षिण अफ्रीका के कोरोनावायरस की नई किस्म बी1.351 सहित अन्य नए रूपों का प्रसार हुआ है।’
डब्ल्यूएचओ टीके के आपातकालीन इस्तेमाल लाइसेंस देने के लिए कोविड-19 टीके की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभाव का आकलन करता है और यह कोवैक्स फैसिलिटी टीके की आपूर्ति के लिए एक जरूरी शर्त है। यह देशों को कोविड-19 टीकों के आयात और उसे लगाने के लिए अपनी नियामकीय मंजूरी में तेजी लाने की भी अनुमति देता है।
एसआईआई और एस्ट्राजेनेका अब गावी तथा डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में कोवैक्स फैसिलिटी के साथ काम करेगी ताकि दुनिया भर में टीके की आपूर्ति शुरू की जा सके। अधिकांश टीके कम और मध्यम आमदनी स्तर वाले देशों में भेजे जाएंगे। एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन इस्तेमाल लाइसेंस के साथ वे अफ्र ीका और अन्य कम और मध्यम आय वाले देशों में तुरंत डिलिवरी शुरू कर सकेंगे। पूनावाला ने आगे कहा, ‘बड़ी आबादी वाले देशों को जितनी जल्दी हो संभव हो सुरक्षित किया जाना चाहिए।’
एस्ट्राजेनेका ने मंगलवार को कहा, ‘लंबित आपूर्ति और परिचालन से जुड़ी चुनौतियों के बीच 2021 की पहली छमाही में यह उम्मीद की जाती है कि टीके की 30 करोड़ से अधिक खुराक कोवैक्स के जरिये 145 देशों के लिए उपलब्ध कराई जाएगी। इन खुराकों को कोवैक्स आवंटन प्रारूप के अनुसार समान रूप से आवंटित किया जाएगा।’
इस महीने की शुरुआत में कोवैक्स द्वारा जारी अंतरिम वितरण पूर्वानुमान के अनुसार, भारत को एसआईआई द्वारा बनाए गए एस्ट्राजेनेका टीके की करीब 9.7 करोड़ खुराकें मिलेंगी। अभी तक कोवैक्स ने भारत के लिए फाइजर-बायोनटेक टीका आवंटित नहीं की है।
