मुंबई के अंग्रेजी दैनिक डीएनए की प्रकाशक कंपनी डिलिजेंट मीडिया ने बेंगलुरु संस्करण भी शुरू कर दिया है।
कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी के यू राव का कहना है कि समाचार पत्र की कीमत 2.50 रुपये होगी, जो बाजार में मौजूदा अखबारों ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ‘डेक्कन हेराल्ड’ से मुकाबला करेगा।
कंपनी के इस कदम ने प्रिंट मीडिया उद्योग को हैरत में डाल दिया, क्योंकि मंदी के इस दौर में ज्यादातर समाचार पत्र प्रकाशकों ने अपनी विस्तार योजनाओं को कुछ समय के लिए टाल दिया है।
राव का मानना है, ‘प्रिंट मीडिया के लिए यह मुश्किल दौर है। लेकिन हमने मंदी के दौरान ही लॉन्च करने का फैसला लिया, ताकि जब अच्छा दौर शुरू हो तो हम अपने पत्र को बाजार में जमा चुके हों।’
लेकिन यह बात जानते हुए कि समाचार पत्र को बाजार में मुकाम दिलाना एक मुश्किल काम है, हो सकता है कि राव को इसका खामियाजा भुगतना पड़े।
वे जानते हैं कि पिछले 6 महीनों में न्यूजप्रिंट के दाम कम से कम 50 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं और वे समाचार पत्र की कंपनियों का मुनाफा चट कर रहे हैं। इसके अलावा समाचार पत्रों के लिए विज्ञापन भी कम आ रहे हैं।
देश की सबसे बड़ी और अमीर मीडिया कंपनी बेनेट कोलमैन ऐंड कंपनी लिमिटेड के मुख्य कार्याधिकारी (प्रकाशन) रवि धारीवाल का कहना है, ‘प्रिंट मीडिया उद्योग मुश्किल दौर से गुजर रहा है।’
अलग-अलग मीडिया में विज्ञापनों की संख्या पर नजर बनाए रखने वाली टैम की इकाई ऐडएक्स के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दो महीनों में प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों की संख्या तेजी से 45 प्रतिशत तक घट चुकी है।
पिछले साल नवंबर के मुकाबले इस साल नवंबर में विज्ञापनों की संख्या में 30 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। समाचार पत्र के कुल खर्च का 60 प्रतिशत हिस्सा न्यूजप्रिंट पर खर्च होता है। इस दौरान इसकी लागत लगातार बढ़ती रही और रुपये की घटती कीमत के कारण समाचार पत्र कंपनियों का घाटा बढ़ गया।
बेंगलुरु में डीएनए के लिए 1.75 लाख प्रिंट ऑर्डर के साथ राव का कहना है, ‘न्यूजप्रिंट की कीमतें पिछले एक महीने में कुछ कम जरूर हुई हैं, लेकिन रुपये की कीमत में 25 प्रतिशत की गिरावट ने इसकी लागत में इजाफा कर दिया है।’
अब यह बताने की जरूरत तो है नहीं कि कंपनियां एक ही समय पर राजस्व को बढ़ाने और खर्च घटाने की कोशिश कर रही हैं। ज्यादातर कंपनियों ने पहले ही सस्ता कागज इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, न्यूजप्रिंट के आपूर्तिकर्ताओं को अलग-अलग करने के साथ कंपनियों ने समाचार पत्र में पेजों की संख्या में भी कमी की है।
देश के सबसे बड़े आर्थिक समाचार पत्र दी इकोनॉमिक्स टाइम्स ने अपने पेजों की संख्या घटाकर 18 कर दी है। धारीवाल का कहना है कि पेजों की संख्या विज्ञापन की संख्या पर निर्भर करती है।
बेनेट कोलमैन के ही दोनों समाचार पत्रों इकनॉमिक्स टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया ने अलग-अलग बाजारों में अखबार की कीमत कम कर दी है।
अब मुंबई में टाइम्स ऑफ इंडिया 4.50 रुपये में उपलब्ध है, जबकि पहले इसकी कीमत 4 रुपये थी। यहां तक डीएनए ने भी अखबार की कीमत 2 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये कर दी है।समाचार पत्रों ने अपनी विस्तार की योजनाओं पर ब्रेक लगा दिया है।
इंडिया टुडे समूह के मेल टुडे कम से कम इस वक्त 20-शहरों में समाचार पत्र पेश करने पर विचार नहीं कर रहा। बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी अपना गुजराती संस्करण बंद कर दिया है।
दैनिक जागरण और नेटवर्क 18 समूह का प्रस्तावित हिंदी आर्थिक समाचार पत्र की योजना खटाई में पड़ गई है, जबकि पहले इसके लिए 50 लोगों को नियुक्त किया गया था।
खतरे के संकेत तो यहां से मिलते हैं कि टाइम्स समूह ने अपने इंटरनेट और प्रिंट मीडिया विभाग से 1,000 से अधिक कर्मियों की नियुक्ति को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान देने की बात की है।
ये छंटनी के ही संकेत हैं। धारीवाल का कहना है, ‘अगर हमारे यहां संख्या में कमी आती है तो उसकी वजह नौकरी छोड़ने वालों की दर 15 प्रतिशत रहना होगी।’