कोरोना महामारी के दबाव के कारण ऑनलाइन रेडियो प्लेटफॉर्म की वरिष्ठ अधिकारी प्रियंका सिंह (नाम बदला गया है) के वेतन में कटौती की गई थी और करीब सात माह बाद अक्टूबर महीने में उन्हें पूरा वेतन मिला है। यह उनके लिए दिवाली के तोहफे की तरह है। सिंह नेे कहा, ‘वेतन कटौती वापस लिए जाने से थोड़ा भरोसा बढ़ा है। हम सभी उम्मीद कर रहे हैं कि स्थिति अब सामान्य हो रही हैं।’
पिछले तीन हफ्तों में कई तकनीकी फर्मों, खास तौर पर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), विप्रो, एचसीएल और माइंडट्री ने वेतन वृद्घि और बोनस देने की योजना की घोषणा की है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की कंपनियां भी वेतन कटौती को वापस लेने की संभावना तलाश रही हैं। कोरोना के कारण कारोबार की अनिश्चितता की वजह से कई कंपनियों ने अप्रैल में अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की थी। वेतन में यह कटौती 5 से 50 फीसदी के दायरे में की गई है।
मानव संसाधन के विशेषज्ञों का अनुमान है कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की करीब 70 फीसदी कंपनियां दिवाली के आसपास वेतन कटौती वापस लेने की संभावना तलाश रहीं हैं। इनमें वाहन कलपुर्जा, एडुटेक, निर्माण उपकरण क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर वेतन वृद्घि जो पहले रोकी गई थी अब उसे भी दिया जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में वेरिएबल हिस्से को भी बढ़ाया जा रहा है। टीम लीज सर्विसेज में सहायक उपाध्यक्ष अमित वढेरा ने कहा, ‘यह सेल्स की नौकरी में आम है लेकिन अब दूसरे कर्मचारियों के लिए भी इस तरह का वेतन ढांचा तैयार किया जा रहा है।’
फार्मा, कंज्यूमर फूड, तकनीकी आदि क्षेत्र की कंपनियों का इस दौरान बेहतर प्रदर्शन रहा है जिसकी वजह से वेतन वृद्घि देने में ये आगे हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि कारोबार पर महामारी के प्रभाव को देखते हुए अलग-अलग क्षेत्र में अपने हिसाब से वेतन वृद्घि, कटौती वापस लेने की तैयारी की गई है।
एऑन इंडिया में निदेशक (प्रदर्शन एवं पारिश्रमिक), नवनीत रत्तन ने कहा, ‘यह कारोबार में सुधार और नकदी प्रवाह की स्थिति पर निर्भर करता है।’ आपूर्ति शृंखला, लॉजिटिक्स और सपोर्ट, पैकेजिंग एवंं वेयरहाउस प्रबंधन क्षेत्र में त्योहारी मौसम में कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया जा सकता है। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि त्योहारों से पहले वेतन वृद्घि या वेतन कटौती वापस लेनेे को कंपनियां नियत लागत के तौर पर देख रही हैं। मर्सर इंडिया में सीनियर प्रिंसिपल मानसी सिंघल ने कहा कि कंपनियां पहले यह आकलन करना चाहती हैं कि उनका कारोबार अतिरिक्त लागत को वहन करने में सक्षम है या नहीं। उन्होंने कहा कि कोविड से पहले तक होने वाली वेतन वृद्घि के स्तर पर पहुंचने में अभी समय लगेगा।सिंघल ने कहा, ‘कोविड से पहले के स्तर पर पहुंचने के लिए कारोबार में काफी सुधार की जरूरत है।’ उनके अनुसार अगले दो से तीन साल में औसत सालाना वेेतन वृद्घि 10 फीसदी के आसपास रह सकती है।ट्रांसर्च इंडिया में मैनेजिंग पार्टनर अतुल वोहरा ने कहा कि डिजिटल और तकनीक जैसे कुछ क्षेत्रों में मुआवजा पैकेज में इजाफा हुआ है।हालांकि अधिकांश मानव संसाधन विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि कंपनियां वेतन कटौती वापस लेने या वेतन वृद्घि में चुनिंदा तरीका अपना रही हैं। फस्र्टमेरिडियन के समूह मुख्य कार्याधिकारी सुधारकर बालकृष्णन ने कहा कि कुछ कंपनियां कनिष्ठ कर्मचारियों को प्राथमिकता दे रही हैं क्योंकि उन्हें पैसे की ज्यादा जरूरत हो सकती है।
