सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान कोल इंडिया लिमिटेड सहित कई सार्वजनिक उपक्रमों को शेयर शेयर पुनर्खरीद करने के लिए कह सकती है लेकिन सरकारी स्वामित्व वाली कोयला खनन कंपनी अपनी खराब वित्तीय स्थिति के कारण संभवत: इस पर विचार नहीं कर रही है। कोल इंडिया की अधिकतर सहायक इकाइयां नकदी संकट से जूझ रही हैं। कोयले की मांग में नरमी और बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों पर रिकॉर्ड बकाये के कारण उसकी समस्याएं कहीं अधिक बढ़ गई हैं।
कोल इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘संशोधित (आयकर) कानून के साथ पुनर्खरीद अब कर के लिहाज से अधिक फायदेमंद विकल्प नहीं रह गया है। पहले केवल सहायक कंपनियों को ही शेयर पुनर्खरीद पर कर का भुगतान करना पड़ता था लेकिन अब होल्डिंग कंपनी के साथ-साथ सहायक कंपनियों को भी कर का भुगतान करना होगा। कोल इंडिया की सहायक कंपनियों में से कोई भी फिलहाल ऐसी सहज स्थिति में नहीं है।’
वित्त अधिनियम 2013 के आयकर अधिनियम की धारा 115क्यूए में किए गए संशोधन के अनुसार, सूचीबद्ध अथवा गैरसूचीबद्ध किसी भी कंपनी को शेयरधारकों से शेयरों की पुनर्खरीद करने पर 20 प्रतिशत कर का भुगतान करना पड़ेगा जो 12 फीसदी अधिभार और लागू उपकर से अतिरिक्त होगा। पिछले पांच वर्षों के दौरान कोल इंडिया के सामान्य भंडार में 30 फीसदी की गिरावट आई है। जहां तक उसकी आठ सहायक कंपनियों का सवाल है तो उनके राजस्व भंडार 2,000 करोड़ या इससे कम है। आखिरी बार कोल इंडिया ने शेयर 2016-17 में शेयर पुनर्खरीद किया था जब उसने 3,650 करोड़ रुपये मूल्य के 10.89 करोड़ शेयर खरीदे थे।
कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कोविड-19 ने कोल इंडिया की सभी कोयला कंपनियों के भुगतान को प्रभावित किया है। लॉकडाउन महीनों के दौरान कोयले की मांग में उल्लेखनीय गिरावट आई थी। हालांकि मांग में अब सुधार दिख रहा है लेकिन बिजली उत्पादक कंपनियों पर अधिक बकाये की समस्या बरकरार है।’ कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों का बिजली उत्पादन कंपनियों पर बकाया सितंबर 2020 तक 22,126 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। उन्होंने कहा, ‘दो-तीन महीने बाद हम स्थिति का आकलन कर निर्णय ले सकते हैं। फिलहाल हम इस विकल्प पर गौर कर रहे हैं कि क्या हमें शेयर पुनर्खरीद करना चाहिए अथवा लाभांश भुगतान। यह उपभोक्ताओं के भुगतान और कोयले के उठाव पर निर्भर करता है।’
अप्रैल से अक्टूबर 2020 की अवधि में कोल इंडिया का कोयला उत्पादन 28.2 करोड़ टन रहा जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में महज 20 लाख टन अधिक है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में अक्टूबर में कोयले का उठाव 3.5 फीसदी कम रहा। अधिकारी ने कहा, ‘यदि हम 10 फीसदी तक शेयर पुनर्खरीद करते हैं तो इसके लिए केवल बोर्ड की मंजूरी लेनी पड़ेगी। जबकि 10 फीसदी से अधिक के लिए शेयरधारकों की मंजूरी की आवश्यकता होगी और इस प्रक्रिया में समय लग सकता है।’
