सरकार ने पेट्रोरसायन और ऊर्जा परियोजनाओं पर तरजीह देते हुए शहरों की गैस वितरण (सीजीडी) परियोजना को उर्वरक इकाइयों के ठीक बाद गैस आवंटित करने का फैसला किया है।
हालांकि सरकार ने साफ कर दिया है कि इसके तहत गैस केवल सीएनजी और घरेलू गैस उपभोक्ताओं को ही दी जाएगी। मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने गैस आवंटन की प्राथमिकता सूची में नगर गैस वितरण परियोजना का दर्जा बढ़ा दिया है। अब इसे उर्वरक इकाइयों के बाद दूसरे स्थान पर रखा गया है।
इसके बाद, पेट्रोरसायन और ऊर्जा परियोजनाओं को तरजीह मिली है। अब तक सीजीडी परियोजना को चौथे दर्जे पर रखा गया था। उल्लेखनीय है कि गैस आवंटन की यह प्रक्रिया अभी पहले चरण में है। मंत्रिसमूह ने तय किया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-डी6 बेसिन से सीजीडी परियोजना को 50 लाख घनमीटर गैस प्रतिदिन (एएमएससीएमडी) आवंटित की जाएगी।
मालूम हो कि केजी बेसिन से गैस आपूर्ति अप्रैल से शुरू होने की संभावना है। मंत्रिसमूह का अनुमान है कि 2012 तक केजी-डी6 से 8 करोड़ घनमीटर गैस की आपूर्ति होने लगेगी। फीडबैक वेंचर्स के महाप्रबंधक (ऊर्जा खंड) राकेश जैन ने बताया, ”प्राथमिकता सूची में ऊंचा चढ़ने का मतलब कि नगर गैस वितरण परियोजना का अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर सकारात्मक असर है।”
हालांकि जैन के मुताबिक, यदि इसे केवल घरेलू और सीएनजी उपभोक्ताओं तक सीमित रखा गया तो आवंटित गैस बच जाएगी। हालांकि, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने मंत्रिसमूह से गैस की आपूर्ति केवल सीएनजी और घरेलू उपभोक्ताओं तक सीमित रखने के निर्णय पर पुनर्विचार की अपील की है।
जानकारों के मुताबिक, एलपीजी उपभोक्ता जैसे-जैसे पीएनजी (पाइप प्राकृतिक गैस) की ओर मुड़ेंगे, वैसे-वैसे सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम होगा। अब गाड़ियों में भी सीएनजी का प्रयोग बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन सरकार को गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि सरकार की योजना है कि धीरे-धीरे देश के सभी शहरों में पाइप से गैस वितरण (पीएनजी) किया जाए।
