भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) आर्थिक मंदी और ऋण संकट का सामना कर रहे उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में एनआरआई द्वारा किए जाने वाले निवेश की राह आसान बनाएगा।
सीआईआई के उपाध्यक्ष (उत्तरी क्षेत्र) हरपाल सिंह ने यहां ‘एमएसएमई इन चैलेंजिंग टाइम्स’ विषय पर हाल में आयोजित हुई एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम राज्य सरकार के साथ मिल कर काम करेंगे और भारतीय प्रवासियाें को उत्तर प्रदेश के एमएसएमई क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेंगे।’
उन्होंने कहा कि सीआईआई एमएसएमई की विकास संभावना को आसान एवं सुगम बनाए जाने और मौजूदा माहौल में इस क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिए जाने को लेकर प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को अब और अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाए जाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश में लघु उद्योगों को चुनौतीपूर्ण समय का सामना करने के लिए तेजी से आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘सीआईआई अगले दो साल में एमएसएमई के साथ मिल कर काम करेगा। इस क्षेत्र में रोजगार और विकास की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। यह क्षेत्र निर्यात और औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के लिए विकास इंजन साबित हो सकता है।’
उन्होंने कहा कि 4-50 करोड़ रुपये के सेगमेंट में आने वाले एमएसएमई के लिए कोष के लिए अलग एक्सचेंज बनाए जाने की जरूरत है। एमएसएमई का हमारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 8 फीसदी का योगदान है।
सीआईआई ने उत्तर प्रदेश सरकार को आश्वस्त किया है कि वह लघु एवं मझोले उद्योगों से संबंधित मामलों में केंद्रीय मंत्रियों और विभागों के साथ वार्ताकार के रूप में पहल करेगा ताकि इस क्षेत्र में विभिन्न क्लस्टरों के लिए केंद्रीय कोष का प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके।
सीआईआई के सदस्य अमिताभ नांगिया ने कहा है कि आने वाले समय में एमएसएमई क्षेत्र में भी विलय एवं अधिग्रहण का चलन जोर पकड़ेगा और विकास के विभिन्न स्तरों पर इस क्षेत्र को काफी हद तक सफलता मिलेगी।
